चीन से मुकाबले की तैयारी: सीमा पर भारत बिछाएगा 4 रेल लाइनें
नई दिल्ली : लगता है कि केंद्र सरकार ने चीन को चुनौती देने का मन बना लिया है। सरकार ने चीन से सटी सीमा के नजदीक चार रेल लाइनें बिछाने का फैसला किया है। इसके लिए रेलवे को सर्वे करने का निर्देश दिया गया है। ये रेल लाइनें रणनीतिक तौर पर अहम मानी जा रही हैं। ये चार रेल लाइनें उन 14 रेल लाइनों का हिस्सा होंगी, जिनका भारत की फौज रणनीतिक इस्तेमाल करेगी। इन रेल लाइनों की कुल लंबाई करीब एक हजार किलोमीटर होगी। इनका विस्तार अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में होगा। रेलवे को इन रेल लाइनों को बिछाने के लिए किए जाने वाले सर्वे के खर्च का आकलन करने के लिए अगले महीने तक का वक्त दिया गया है। बताया जा रहा है कि इंजीनियरिंग सर्वे का ही खर्च करीब 200 करोड़ रुपए हो सकता है।
कहां बिछेंगी रेल लाइनें
मिसामारी-तवांग 378 किलोेमीटर
असम-अरुणाचल प्रदेश, उत्तरी लखीमपुर-सिलापथर-248 किलोमीटर
असम-अरुणाचल प्रदेश, मुरकोंगसेलेक-पासीघाट-तेजू-परशुराम कुंड-रुपई-256 किलोमीटर
हिमाचल प्रदेश-जम्मू एवं कश्मीर, बिलासपुर-मंडी-मनाली-लेह 498 किलोमीटर
कितना वक्त लगेगा
सर्वे को पूरा करने में करीब दो साल का वक्त लग सकता है। ये सभी रेल लाइनें हिमालय के आसपास ही बिछेंगी, इसलिए पूरी कवायद के दौरान पहाड़ में कई सुरंगें खोदनी होंगी।
चीन कर सकता है विरोध
कुछ दिनों पहले भारत ने चीन से सटी सीमा पर सड़क बनाने का फैसला किया था। इस फैसले का चीन ने यह कहते हुए विरोध किया था कि सीमा से सटे इलाके में भारत को ऐसी गतिविधियां नहीं करनी चाहिए। तब भारत की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा था कि भारत को अपनी जमीन पर कोई काम करने के लिए किसी से पूछने की जरुरत नहीं है। गौरतलब है कि चीन ने भारत से सटी सीमा के नजदीक सड़कों और रेल ट्रैक का जाल बिछा दिया है। रणनीतिक तौर पर इन्हीं बुनियादी ढांचों के चलते चीन को भारत पर बढ़त हासिल है।
कहां बिछेंगी रेल लाइनें
मिसामारी-तवांग 378 किलोेमीटर
असम-अरुणाचल प्रदेश, उत्तरी लखीमपुर-सिलापथर-248 किलोमीटर
असम-अरुणाचल प्रदेश, मुरकोंगसेलेक-पासीघाट-तेजू-परशुराम कुंड-रुपई-256 किलोमीटर
हिमाचल प्रदेश-जम्मू एवं कश्मीर, बिलासपुर-मंडी-मनाली-लेह 498 किलोमीटर
कितना वक्त लगेगा
सर्वे को पूरा करने में करीब दो साल का वक्त लग सकता है। ये सभी रेल लाइनें हिमालय के आसपास ही बिछेंगी, इसलिए पूरी कवायद के दौरान पहाड़ में कई सुरंगें खोदनी होंगी।
चीन कर सकता है विरोध
कुछ दिनों पहले भारत ने चीन से सटी सीमा पर सड़क बनाने का फैसला किया था। इस फैसले का चीन ने यह कहते हुए विरोध किया था कि सीमा से सटे इलाके में भारत को ऐसी गतिविधियां नहीं करनी चाहिए। तब भारत की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा था कि भारत को अपनी जमीन पर कोई काम करने के लिए किसी से पूछने की जरुरत नहीं है। गौरतलब है कि चीन ने भारत से सटी सीमा के नजदीक सड़कों और रेल ट्रैक का जाल बिछा दिया है। रणनीतिक तौर पर इन्हीं बुनियादी ढांचों के चलते चीन को भारत पर बढ़त हासिल है।


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