ममता के इशारे पर चलने को क्यों मजबूर है Zee News टीवी चैनल, गोरखालैंड के सच को दबाने की हो रही कोशिश
दीपक राई
वीर गोरखा न्यूज पोर्टल
दार्जीलिंग के शोषित गोरखा समाज के पृथक गोरखालैंड आंदोलन को दिल्ली में बैठी जी न्यूज ने अब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समेत सभी गोरखा समाज को अलगाववादी और देशद्रोही का ठप्पा लगाने का काम शुरू कर दिया है। आखिर जी न्यूज किस एजेंडे पर चल रहा है, यह समझ से बाहर है। आखिर वह क्या वजह है, जिसके कारण जी न्यूज समेत अन्य नेशनल मीडिया दार्जीलिंग की जनता के भावनात्मक और वाजिब पृथक आंदोलन को क्यों महसूस नहीं कर पा रही है। देश की जनता के सामने गोरखा समाज को ऐसे पेश किया जा रहा है, जैसे वह देश से ही अलग होने की कोशिश में देशद्रोह पर उतर आया है। ऐसा कुछ भी नहीं है। गोरखा समाज सदैव भारत की अखंडता का हितैषी रहा है। उसने हमेशा देश के विकास में हमकदम बन अपना योगदान दिया है। दिल्ली में बैठकर दार्जीलिंग के पुराने जख्मों को अनदेखा करने वाले नेशनल मीडिया का एक खेमा बहुत ही नकारात्मक रिपोर्टिंग कर रहा है। इसकी ही वजह से आज दोपहर में दार्जिलिंग बंद के दौरान आंदोलनकारियों ने जी न्यूज के मीडिया टीम पर पथराव करते हुए उनके सामान को जला डाला। यह सब कही ना कही नकारात्मक रिपोर्टिंग से नाराज चल रहे थे। हालांकि जो हुआ, वह बहुत ही निन्दनीय है। लेकिन नेशनल मीडिया को पहाड़ में चल रहे आंदोलन की सटीक और कोताही भरी रिपोर्टिंग करनी जरूरी है।
वीर गोरखा न्यूज पोर्टल
दार्जीलिंग के शोषित गोरखा समाज के पृथक गोरखालैंड आंदोलन को दिल्ली में बैठी जी न्यूज ने अब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा समेत सभी गोरखा समाज को अलगाववादी और देशद्रोही का ठप्पा लगाने का काम शुरू कर दिया है। आखिर जी न्यूज किस एजेंडे पर चल रहा है, यह समझ से बाहर है। आखिर वह क्या वजह है, जिसके कारण जी न्यूज समेत अन्य नेशनल मीडिया दार्जीलिंग की जनता के भावनात्मक और वाजिब पृथक आंदोलन को क्यों महसूस नहीं कर पा रही है। देश की जनता के सामने गोरखा समाज को ऐसे पेश किया जा रहा है, जैसे वह देश से ही अलग होने की कोशिश में देशद्रोह पर उतर आया है। ऐसा कुछ भी नहीं है। गोरखा समाज सदैव भारत की अखंडता का हितैषी रहा है। उसने हमेशा देश के विकास में हमकदम बन अपना योगदान दिया है। दिल्ली में बैठकर दार्जीलिंग के पुराने जख्मों को अनदेखा करने वाले नेशनल मीडिया का एक खेमा बहुत ही नकारात्मक रिपोर्टिंग कर रहा है। इसकी ही वजह से आज दोपहर में दार्जिलिंग बंद के दौरान आंदोलनकारियों ने जी न्यूज के मीडिया टीम पर पथराव करते हुए उनके सामान को जला डाला। यह सब कही ना कही नकारात्मक रिपोर्टिंग से नाराज चल रहे थे। हालांकि जो हुआ, वह बहुत ही निन्दनीय है। लेकिन नेशनल मीडिया को पहाड़ में चल रहे आंदोलन की सटीक और कोताही भरी रिपोर्टिंग करनी जरूरी है।
देश में हमेशा से गोरखा समाज संघषशील रहा है। संघर्ष उसके जीवन का अभिन्न अंग रहा है। समाज ने अपने भी भारत देश में खुद को विदेशी, नौकर और हमेशा नफरत का शिकार पाया है। हमेशा से कई पीढ़ी इसी उधेड़बुन में उलझकर समय के साथ कही गुम भी हो गयी। क्या भारत की पवित्र माटी में हम गोरखा भी समान अधिकार के पात्र नहीं है ? आखिर कब तक हमें स्वयं को साबित करने के लिए हाथ में वफादारी का सर्टिफिकेट लिए घूमना होगा ? कभी तो वह वक्त भी करीब आना चाहिए जब हमारी भविष्य की पीढ़ी इस जद्दोजहद से खुद को दूर रख सके। देश में हमेशा से पृथक राज्य के आंदोलन को नेशनल मीडिया का सपोर्ट मिलता रहा है लेकिन जब भी बात गोरखालैंड की आती है तो इन्हीं मीडिया के लिए हम गोरखा अछूत हो जाते है। सब हमें विघटनकारी समझने लगते है। क्या हम विघटनकारी हल सकते है ? कदापि नहीं। ऐसा सोच भी नहीं सकता देश का गोरखा समाज। देश की मीडिया से वीर गोरखा डॉट कॉम एक अपील करना चाहता है कि वह पूरे घटनाक्रम की सत्यपरख रिपोर्टिंग दिखाए, ना कि दिल्ली के टीवी स्टूडियो में बैठकर कोलकाता के राइटर्स बिल्डिंग के प्रेस नोट को अंतिम सच माने। सबको गोरखालैंड के असल सच को दुनियाभर के सामने लाना चाहिए।
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