क्या दार्जीलिङ भारत का अभिन्न अंग नहीं है आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी ? - विशेष आलेख : कनकधारा स्वदेशानंद
फाइल फोटो |
- स्वामी कनकधारा स्वदेशानंद
क्या दार्जीलिङ भारत का अभिन्न अंग नहीं है?
गोर्खालैंड़ आन्दोलन – अपना पराया पहचानने का सही वक्त है।
१) मरीशस में मानवाधिकार हनन होने पर बोलने वाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
२) पाकिस्तान के बलुच पर हो रहे विभेद और दमन पर बोलने वाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
३) फिजी के महेन्द्र पाल चौधरी को अपदस्थ किए जाने पर बोलने वाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
४) बशीरहाट पर बोलने वाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
५) बशीरहाट के लिए हायतौबा मचाकर जानेवाले भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व दार्जीलिङ क्यों नहीं आए?
६) बलुचिस्तान के लिए भारतीय संसद में प्रस्तावित सदस्य रखने वाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
७) बलुचिस्तान के लिए एफ एम खोलने वाले दार्जीलिङ पर क्यों सूचना का अधिकार खत्म किए?
८) नेपाल का संविधान संशोधन के लिए दबाव देनेवाले दार्जीलिङ के लिए क्यों भारतीय संविधान संशोधन नहीं करते?
९) तिब्बत में हो रहे दमन और अत्याचार को देखकर उसका विरोध करनेवाले दार्जीलिङ पर क्यो चुप्पी साधे हुए हैं?
१०) नेपाल के मधेश पर बोलनेवाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
११) बड़े बड़े मञ्चों में खड़ा होकर विश्ववन्धुत्व और मानवता की डींग हाकनेवाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
१२) काश्मीर के अनंतनाग में यात्रियों पर आतंकी हमला होने पर बोलनेवाले दार्जीलिङ पर क्यों नहीं बोलते?
१३) आतंकवादी को भी जेल में रखकर खाना खिलाने वाली सरकार दार्जीलिङ और सिक्किम के अघोषित नाकाबंदी क्यों नहीं बोलती?
१४) आपदाओं पर सहयोग की हाथ बटानेवाले संघ परिवार दार्जीलिङ के लिए क्यों सहयोग का हाथ नहीं बंटवाता?
ये जितने भी प्रश्न है, इनका उत्तर भारतीय जनमानस में नहीं है। भारतीय बुद्धिजीवी के लिए गोर्खा विदेशी हैं। हमपर नश्लभेद किया जाता है। सुब्रह्मण्यम स्वामी, योगी आदित्यनाथ, एक्टर कबीर बेदी, एसएस अहलुवलिया को छोड़कर किसीने खुलकर हमारा समर्थन नहीं किया है। भारत सरकार को विश्व मंच पर बड़ी बड़ी डींगे हाँकने का नैतिक अधिकार नहीं है। दार्जीलिङ और सिक्किम में अघोषित नाकाबंदी है। राशीन पानी बन्ध है। फिर भी भारत की सरकार मौन है। जिसके घर आग लगी हो, पहले आग बुझाई जाती है न कि विदेशों में जाकर भाषण दिए जाते।
(उपरोक्त आलेख लेखक के स्वयं के विचार है)
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