भूटान के नेपालीभाषी हिन्दू गोरखाओं के लिए संघ परिवार का हिन्दू मोह क्यों नहीं ?
- कनकधरा स्वामी स्वदेशानन्द
भूटानी हिन्दुओं के लिए संघ परिवार (भाजपा, बजरंग दल, वनवासी कल्याण परिषद्, किसान संघ, राष्ट्रसेविका समिति, उदित भारती, हिमालय परिवार, विश्वहिन्दू परिषद्, धर्म जागरण मंच, आदि) संस्थाओं ने कुछ नहीं किया। दरअसल संघ परिवार को हिन्दू मोह नहीं, भोट मोह है। आगरा में जिनको हिन्दू बनवाने का नाटक किया गया वे सबके सब उत्तर प्रदेश, बिहार के नहीं बल्कि बंगलादेश से आए हुए लोग थे। उनकी बोली की लबाज कतई उत्तर प्रदेश-बिहार की न थी। मैने कई बार संघ परिवार के हिन्दुत्व पर सवाल दागे हैं। इनके हिन्दुत्व में भारतीय मूल के जाति विशेष पर ध्यान है। सुनने में विश्वहिन्दू परिषद् लेकिन व्यवहार पर सिर्फ जातिवादी परिषद् दीखता है। भूटान के हिन्दू भारतीय हिन्दू संगठनों के अभाव में अपना देश भूटान नहीं जा सके। भूटान के तमाम नेपालीभाषी हिन्दू आज भी नेपाल स्थित शराणार्थी शिविर पर आधारभूत सुविधा विहीन नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अगर संघ परिवार को हिन्दुत्व और हिन्दूओं से मोह है तो उनको उनके देश भूटान जाने के लिए क्यों सहयोग नहीं करता? भारतीय हिन्दु संगठनों के सहयोग के अभाव में बहुत सारे नेपालीभाषी हिन्दू भगवान् रामचन्द्र की पूजा- आराधना करता हुआ विदेशों में विस्थापित हैं। बंगलादेशियों से तो नेपालीभाषी हिन्दू गोरखा भारतीयों के काम आएंगे लेकिन संघ परिवार गोरखाओं की अपेक्षा बंगलादेशी मुसलमानों को अपनाता है। आगरा धर्म परिवर्तन काण्ड़ यही प्रमाणित करता है।
भूटानी हिन्दुओं के लिए संघ परिवार (भाजपा, बजरंग दल, वनवासी कल्याण परिषद्, किसान संघ, राष्ट्रसेविका समिति, उदित भारती, हिमालय परिवार, विश्वहिन्दू परिषद्, धर्म जागरण मंच, आदि) संस्थाओं ने कुछ नहीं किया। दरअसल संघ परिवार को हिन्दू मोह नहीं, भोट मोह है। आगरा में जिनको हिन्दू बनवाने का नाटक किया गया वे सबके सब उत्तर प्रदेश, बिहार के नहीं बल्कि बंगलादेश से आए हुए लोग थे। उनकी बोली की लबाज कतई उत्तर प्रदेश-बिहार की न थी। मैने कई बार संघ परिवार के हिन्दुत्व पर सवाल दागे हैं। इनके हिन्दुत्व में भारतीय मूल के जाति विशेष पर ध्यान है। सुनने में विश्वहिन्दू परिषद् लेकिन व्यवहार पर सिर्फ जातिवादी परिषद् दीखता है। भूटान के हिन्दू भारतीय हिन्दू संगठनों के अभाव में अपना देश भूटान नहीं जा सके। भूटान के तमाम नेपालीभाषी हिन्दू आज भी नेपाल स्थित शराणार्थी शिविर पर आधारभूत सुविधा विहीन नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अगर संघ परिवार को हिन्दुत्व और हिन्दूओं से मोह है तो उनको उनके देश भूटान जाने के लिए क्यों सहयोग नहीं करता? भारतीय हिन्दु संगठनों के सहयोग के अभाव में बहुत सारे नेपालीभाषी हिन्दू भगवान् रामचन्द्र की पूजा- आराधना करता हुआ विदेशों में विस्थापित हैं। बंगलादेशियों से तो नेपालीभाषी हिन्दू गोरखा भारतीयों के काम आएंगे लेकिन संघ परिवार गोरखाओं की अपेक्षा बंगलादेशी मुसलमानों को अपनाता है। आगरा धर्म परिवर्तन काण्ड़ यही प्रमाणित करता है।


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