नेपाल में रहस्य बनी है ये 10,000 गुफाएं, मिले हैं अजीबोगरीब इंसानों के कंकाल
काठमांडू : हिमालय अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। भारत और नेपाल में आने वाले हिमालय में आज भी ऐसे कई जगह है, जिसके बारे में जानकर हैरानी होती है। ऐसी ही एक जगह है नेपाल में जहां मौजूद हैं 10,000 रहस्यमयी गुफाएं। नेपाल के मस्टैंग डिस्ट्रिक्ट में मौजूद इन गुफाओं को मस्टैंग गुफा या स्काय केव्स ऑफ नेपाल कहते हैं। हिमालय की पहाड़ियों में जमीन से 155 फीट की ऊंचाई पर बनी ये गुफाएं दुनिया की सबसे बड़ी अर्कियोलॉजिकल मिस्ट्री कही जाती हैं। ऊंचे रेतीले पहाड़ पर मौजूद 10 हजार से भी ज्यादा गुफाएं किसी रेत के विशाल महल की तरह नज़र आते हैं। कुछ अर्कियोलॉजिस्ट का मानना है कि इन गुफाओं को इंसानों ने बनाया है।
2000 साल पुराने मिले हैं अजीबोगरीब कंकाल
1990 में नेपाल के अर्कियोलॉजिस्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोन के दल को यहां अजीबोगरीब नरकंकाल मिले थे, जो करीब 2000 साल पुराने थे। इसके बाद अपर मस्टैंग की गुफा में कई रिसर्च हुए, लेकिन ये गुफाएं क्यों बनी और किसने बनाई इसके बारे में अब तक कुछ भी नहीं पता चल सका है।
हर साल मिलती है 1 हजार लोगों को परमिशन
तिब्बतियन बॉर्डर के पास होने के कारण 1992 तक यहां ट्रैकर्स को जाने की परमिशन नहीं थी। पर अब हर साल एक हजार ट्रैवलर्स को परमिशन मिलती है। इन गुफाओं की सुरक्षा सैमडजोंग गांव के लोग करते हैं। मस्टैंग जोमसोम एयरपोर्ट से 15 मिनिट की दूरी पर है मस्टैंग इको म्यूजियम। यहां गुफाओं में मिली हड्डियां, कंकाल, पेंडेंट यहां आप देख सकते हैं।
कैसे पहुंचे मस्टैंग की गुफाएं
मस्टैंग दो हिस्सों में बंटा है अपर मस्टैंग और लोवर मस्टैंग, यहां तक पहुंचने के लिए आपको पहले पोखरा पहुंचना पड़ेगा। इसके लिए आपको काठमांडू से आसानी से नेपाल ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की बसें मिल जाएंगी। यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जोमसोम है।
2000 साल पुराने मिले हैं अजीबोगरीब कंकाल
1990 में नेपाल के अर्कियोलॉजिस्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलोन के दल को यहां अजीबोगरीब नरकंकाल मिले थे, जो करीब 2000 साल पुराने थे। इसके बाद अपर मस्टैंग की गुफा में कई रिसर्च हुए, लेकिन ये गुफाएं क्यों बनी और किसने बनाई इसके बारे में अब तक कुछ भी नहीं पता चल सका है।
हर साल मिलती है 1 हजार लोगों को परमिशन
तिब्बतियन बॉर्डर के पास होने के कारण 1992 तक यहां ट्रैकर्स को जाने की परमिशन नहीं थी। पर अब हर साल एक हजार ट्रैवलर्स को परमिशन मिलती है। इन गुफाओं की सुरक्षा सैमडजोंग गांव के लोग करते हैं। मस्टैंग जोमसोम एयरपोर्ट से 15 मिनिट की दूरी पर है मस्टैंग इको म्यूजियम। यहां गुफाओं में मिली हड्डियां, कंकाल, पेंडेंट यहां आप देख सकते हैं।
कैसे पहुंचे मस्टैंग की गुफाएं
मस्टैंग दो हिस्सों में बंटा है अपर मस्टैंग और लोवर मस्टैंग, यहां तक पहुंचने के लिए आपको पहले पोखरा पहुंचना पड़ेगा। इसके लिए आपको काठमांडू से आसानी से नेपाल ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की बसें मिल जाएंगी। यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जोमसोम है।
- भास्कर











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