Header Ads

याद करों कुर्बानी : अदम्य शौर्य की कथा है कारगिल युद्ध में शहीद देहरादून के लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की


वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क
देहरादून।
उत्तराखंड  की माटी से वैसे तो बहुत सारे वीर बाँकुरे पैदा हुए है लेकिन बेहद काम उम्र में देश ले लिए जान देने वाले गढ़ी कैंट के लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग जैसे लोग बिरले ही हुआ करते है। देश के लिए शहादत देना हर किसी के नसीब में नहीं होता। युद्ध के मैदान में आखिरी सांस तक दुश्मन से मोर्चा लेने वाले वीर हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। साथ ही अपने परिवार को ऐसा फक्र दे जाते हैं, जो हमेशा सिर ऊपर और छाती चौड़ा रखता है। देहरादून की गोर्खाली समुदाय की सैन्य विरासत को अपने साथ लेकर गौतम गुरुंग अपने शहर देहरादून से ही 6 मार्च 1997 को इन्डियन मिलिट्री अकादमी से कमीशन लेकर सैन्य सेवा से जुड़े थे। देहरादून के जाने-माने गोरखा सैन्य अफसर और रिटायरमेंट के बाद अपने समुदाय में समाजसेवा के लिए मशहूर रिटायर्ड ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग के इकलौते बेटे और गोर्खाली समाज के गौरव लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग ने कारगिल में 4 अगस्त 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों से मुठभेड़ के दौरान अपने 8 साथियों को बचाते हुए साल 1999 में अपनी जान देश के लिए न्यौछावर कर दिए थे।

गोरखपुर GRD में स्थित तिराहे पर शहीद गौतम की प्रतिमा स्थापित
वीर गोरखा शहादत को सलाम करते हुए भारतीय सेना ने भी अमर शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग के सम्मान में गोरखपुर के जीआरडी के समीप स्थित तिराहे को शहीद गौतम गुरुंग के नाम पर रखते हुए उनकी प्रतिमा स्थापित की है। इस स्थान पर जीआरडी और भारत-नेपाल मैत्री समाज के संयुक्त तत्वावधान में मनाया जाता है।

रिटायर्ड ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग के एकलौते बेटे थे गौतम
अमर शहीद ले. गौतम गुरुंग अपने पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर पी.एस. गुरुंग (पूर्व कमांडेंट जीआरडी गोरखपुर) और पुष्पलता गुरुंग के इकलौते बेटे थे। उत्तराखंड के देहरादून निवासी और देश के लिए कई सीधी लड़ाईयां लड़ चुके ब्रिगेडियर गुरुंग अपनी पत्नी के साथ देहरादून में रहते हैं। यहीं पर उनके बेटे गौतम का जन्म 23 अगस्त 1973 को हुआ था। एमबीए करने के बाद गौतम सेना में भर्ती हुए।

पिता की बटालियन 3/4 GR में ही लिया था कमीशन
6 मार्च 1997 को पिता और देहरादून के नामचीन सैन्य अधिकारी पूरन सिंह गुरुंग की ही बटालियन 3/4 गोरखा रायफल्स में गौतम ने कमीशन प्राप्त किया। उनको पहली नियुक्ति जम्मू कश्मीर में मिली थी।

5 अगस्त 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों से मुठभेड़ में हुए शहीद
4 अगस्त 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों से मुठभेड़ हो रही थी। इस दौरान एक मिसाइल दोस्त के बंकर में जा घुसी। दोस्त को बंकर से निकालते समय दुश्मनों की एक और मिसाइल लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग के कमर के हिस्से पर जा लगी। इसके बाद अत्यधिक खून बह जाने के बावजूद अपने कुछ साथियों को बचाने में पूरे पराक्रम के साथ गौतम सफल रहे। बुरी तरह घायल गौतम गुरुंग को फ़ौरन बेस कैंप ले जाया गया। यहां 5 अगस्त की सुबह गौतम देश के सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए।

छोटी बहन मीनाक्षी ने आज भी रखी है भाई की राखी
छोटी बहन ले. रजत त्यागी की पत्नी और गौतम गुरुंग की छोटी बहन मीनाक्षी आज भी उस राखी को संजो कर राखी है जो उन्होंने उसी शाम भाई को भेजने के लिए खरीदा था। वह अगले दिन इसे पोस्ट करने वालीं थीं। तभी भाई के शहादत की खबर आ गई।

शहीद गौतम गुरुंग ट्रस्ट से संवारा कइयों का जीवन
गोरखा समुदाय के गौरव शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग के ब्रिगेडियर पिता ने देहरादून में अपने बेटे के नाम पर 'शहीद गौतम गुरुंग ट्रस्ट' की स्थापना की है। उन्होंने गौतम के शहीद होने बाद सरकार से मिले हुए आर्थिक सहायता और पेंशन की रकम गोर्खाली समुदाय के बेहतरी के लिए खर्च कर रहे है। इसके अलावा गुरुंग परिवार शहीद गौतम गुरुंग के नाम से एक बॉक्सिंग क्लब देहरादून में संचालित कर रहा है। अब तक इस क्लब से प्रशिक्षण प्राप्त कर 21 युवक-युवतियां गवर्नमेंट जॉब में हैं।





( नोट - सारी तस्वीरें बीते साल 2016 में बलिदान कार्यक्रम के दौरान के है। )

Powered by Blogger.