बंगाल पुलिस का क्रूर चेहरा एक बार फिर बेनकाब : दार्जिलिंग में जलाए गए 4 मोर्चा समर्थकों के घर, PHOTOS & VIDEO
वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क
दार्जिलिंग : पातलेबास में आज सुबह से गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरूंग के घर को जलाए जाने की खबरें वायरल हो रही थी लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत खबर पाई गई। गुरुंग के घर के करीब मोर्चा के कार्यालय से लगा हुआ दिनेश गुरुंग का घर जलाए जाने की खबरें प्राप्त हो रही है। हालांकि बिमल गुरुंग के घर को भी पुलिस द्वारा पूरी तरह से ध्वस्त करने की सूचना मिल रही है। जिन समर्थकों के घर जलाए जाने की पुख्ता सूचना है, उनमें दिनेश गुरुंग, राजेश गुरुंग, प्रवीन सुब्बा व अमित चंद शामिल है।
पुलिस द्वारा कल देर रात 11:00 बजे के आसपास इस क्षेत्र में कार्यवाही शुरु की गई। जो करीब 3 से 4 घंटे चली। देर रात से क्षेत्र में ब्लैक आउट किया गया था।
पुलिस के इस कृत्य के बाद पहाड़ की जनता के बीच पुलिस में विश्वास अब बिल्कुल भी नहीं बचा है, क्योंकि पुलिस द्वारा इस तरह की कार्यवाही केवल विध्वंस को ही सामने लेकर आ रही है। आखिरकार कब तक पहाड़ की जनता के ऊपर इस तरह के जुल्म ढाए जाएंगे ? बंगाल पुलिस बदले की कार्यवाही के चलते इस तरह से आम गोर्खाली जनता को परेशान कर रही है।
अपनी पुलिस के सहारे ममता बनर्जी की सरकार पूर्ण रूप से अब गोरखाओं के दमन पर उतारू हो चुकी है, यह बेहद निराश कर देने वाली घटना है।
पुलिस का यह कतई काम नहीं कि वह स्वयं किसी भी अपराध में शामिल व्यक्ति को सजा दे। यह काम न्यायपालिका का है एवं संविधान के दायरे पर रहते हुए पुलिस को केवल कानून व्यवस्था स्थापित करने की कर्तव्य का निर्वहन करने का प्रयास करना चाहिए। जनता की आवाज को इस तरह पुलिस के दमन से दबाए जाने की कोशिश बेहद निराश कर देने वाली है। आखिरकार बिमल गुरुंग के पीछे पुलिस इस तरह से क्यों सक्रिय हो गयी है ? बीते दिनों गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के मेंबर लोपसांग लामा ने एक पत्र ग्रह मंत्री के नाम भी लिखा था। जिसमें पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा गया था कि वह बिमल गुरूंग को खत्म कर देना चाहती है।
30 को गुरुंग के दार्जिलिंग पहुंचने की इंटेलिजेंस को सूचना
पहाड़ में सहानुभूति लहर से एक बार फिर पॉपुलर होते जा रहे मोर्चा प्रमुख बिमल गुरुंग के बारे में इंटेलिजेंस को भी सूचना प्राप्त हो रही है कि वह 30 अक्टूबर से पहले दार्जिलिंग में दाखिल हो सकते हैं। गुरुंग के दार्जिलिंग में दाखिल होते ही गोरखालैंड आंदोलन एक बार फिर बेहद सक्रिय रहने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि पुलिस एवं विमल गुरूंग के विरोधी गुट किसी भी कीमत पर उनकी पहाड़ में वापसी नहीं देखना चाहते हैं।







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