विकास के पक्ष-विपक्ष की चल रही लड़ाई - सुभाष प्रधान
कर्सियांग। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग के बदौलत अलग राज्य गोरखालैंड की मांग के दौरान 44 माह के आंदोलन के बाद ही यह मुद्दा सड़क से संसद तक पहुंचा और इसका श्रेय सिर्फ विमल गुरुंग को ही जाता है। वह कुर्सी की राजनीति नहीं करते हैं और न ही संगठन में ऐसे लोगों की जरूरत है। इस समय पहाड़ में विकास के पक्ष-विपक्ष की लड़ाई चल रही है। यह बातें महकमा युवा मोर्चा कमेटी के प्रचार-प्रसार सचिव सुभाष प्रधान ने बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि विमल गुरुंग एक सच्चे और ईमानदार नेता हैं। उनकी पूंजी भी यही है। ऐसे में जो लोग उन्हें स्वार्थी बताकर जीटीए पर समझौता करने का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि अलग राज्य के लिए गोजमुमो ने ही वृहद आंदोलन किये हैं।
गोरखालैंड की मांग को बिना ड्राप किए गोजमुमो ने राज्य के अंदर ही गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन का गठन कराया। सही मायने में यह अलग राज्य की पहली सीढ़ी है और इससे पहाड़ व यहां के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र सहित तराई-डुवार्स के गोरखालैंड प्रेमी जनता को यहां बिना जनाधार वाले नेता गुमराह कर रहे हैं और जीटीए के लिए साजिश रच रहे हैं। सही मायने में यह लड़ाई अब पहाड़ के विकास के पक्ष-विपक्ष की हो गई है। गोरामुमो जैसी राजनीति गोजमुमो के फितरत में नहीं है। उन्होंने कहा कि विमल गुरुंग तराई-डुवार्स के जनता के प्रत्येक सुख-दुख: में साथ रहते हैं। तराई व डुवार्स का क्षेत्रफल जीटीए में समावेश करने के बाद जीटीए का चुनाव होगा। इस चुनाव में जो भी विजयी हासिल करेगा, वही कुर्सी पर काबिज होगा।
गोरखालैंड की मांग को बिना ड्राप किए गोजमुमो ने राज्य के अंदर ही गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन का गठन कराया। सही मायने में यह अलग राज्य की पहली सीढ़ी है और इससे पहाड़ व यहां के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र सहित तराई-डुवार्स के गोरखालैंड प्रेमी जनता को यहां बिना जनाधार वाले नेता गुमराह कर रहे हैं और जीटीए के लिए साजिश रच रहे हैं। सही मायने में यह लड़ाई अब पहाड़ के विकास के पक्ष-विपक्ष की हो गई है। गोरामुमो जैसी राजनीति गोजमुमो के फितरत में नहीं है। उन्होंने कहा कि विमल गुरुंग तराई-डुवार्स के जनता के प्रत्येक सुख-दुख: में साथ रहते हैं। तराई व डुवार्स का क्षेत्रफल जीटीए में समावेश करने के बाद जीटीए का चुनाव होगा। इस चुनाव में जो भी विजयी हासिल करेगा, वही कुर्सी पर काबिज होगा।
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