चारा घोटाला केस में लालू यादव आरोपी दोषी करार, 3 से 7 साल की होगी सजा
आज तक
नई दिल्ली : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले के प्रमुख आरोपी लालू प्रसाद यादव से सीधे जुड़े चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. जज प्रभाष कुमार सिंह ने इस मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, सांसद जगदीश शर्मा और पूर्व सांसद आरके राणा समेत सभी 45 आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया है. उधर, लालू के बेटे तेजस्वी ने कहा कि वे कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. फैसले के बाद लालू को कोर्ट में ही हिरासत में ले लिया गया था और फिलहाल उन्हें वैन में बैठाकर एक अपराधी की तरह बिरसा मुंडा जेल ले जाया जा रहा है. जब वे कोर्ट से बाहर निकले तो लालू के साथ उनका बेटा तेजस्वी भी था और वे चारों ओर से अपने समर्थकों से घिरे हुए थे.
जज प्रभाष कुमार सिंह के आदेश के बावजूद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. आपको बत दें कि जज ने साफ तौर पर कहा था कि नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्योंकि ऐसा करना कोर्ट की कार्यवाही में बाधा डालना है. लालू समेत अन्य दोषियों को कितनी सजा होगी, इस पर मंगलवार को कोर्ट में बहस होगी और 3 अक्टूबर को सजा का ऐलान कर दिया जाएगा. लालू को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सजा सुनाई जाएगी. इस फैसले से लालू का राजनीतिक सफर पर विराम लग गया है. क्योंकि अब वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उनकी संसद सदस्यता खत्म हो सकती है. उन पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 437 ए और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया था. भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी लालू पर केस दर्ज किया गया था.
950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने अपना फैसला 17 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 44 अन्य आरोपियों के भी भाग्य का फैसला हो गया है. इससे पूर्व लालू प्रसाद अपने कुल देवताओं और बाबाओं का आशीर्वाद लेते हुए फैसला सुनने के लिए अपने लाव लश्कर के साथ रविवार शाम पटना से विमान के जरिए रांची पहुंचे. उनका छोटा बेटा तेजस्वी उनके साथ था. लालू फैसले को लेकर तनाव के चलते रविवार शाम से सोमवार सुबह तक पूरी तरह शांत दिखाई दिए.
चारा घोटाले में कुल 64 केस, जिसमें से 5 लालू पर
1996 में सामने आए चारा घोटाले के कुल 64 केस में से लालू यादव पर 5 केस चल रहे हैं. इनमें से 4 केस की सुनवाई रांची की सीबीआई अदालत में ही चल रही है. फरवरी 2002 से शरू हुए केस के ट्रायल में 19 अक्टूबर 2012 से अंतिम बहस शुरू हुई. इस साल 17 सितंबर को दोनों तरफ की बहस पूरी हो गई. सीबीआई के विशेष जज पी के सिंह ने फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर की तारीख मुकर्रर की थी.
बिहार की राजनीति में लालू यादव
बिहार पर 15 साल तक शासन करने के बाद लालू आज एक हारे हुए सेनापति की तरह जरूर हैं लेकिन बिहार की जमीन जिस राजनीति को पैदा करती है, लालू आज भी उसके लिए अहम खाद हैं. सत्ता के समीकरण और वोट बैंक पॉलिटिक्स में लालू आज भी बहुत अहम हैं. भले ही बिहार की कुर्सी उनसे छिन गई हो पर वोट प्रतिशत की बात करें तो लगता है कि अब भी वो जनता की पसंद हैं. जाहिर है अगर लालू चारा घोटाले के केस में दोषी करार हो गए तो विरोधियों के लिए खासकर नीतीश कुमार के लिए जैसे बैठे-बिठाए हाथों में लड्डू मिल जाने जैसा हो जाएगा.
पिछले दिनों जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूटा है, साफ हो गया है कि लालू को तो इसका फायदा मिलेगा ही. ऐसे में चारा घोटाले का फैसला लालू के वोट बैंक की सियासत को भी असर कर सकता है. विरोधी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे और लालू जेल में रहकर उसका जवाब भी नहीं दे पाएंगे. बीजेपी ने तो अभी से हल्लाबोल दिया है और दागी नेताओं को बचानेवाले अध्यादेश के बहाने कांग्रेस पर भी कीचड़ उछाला है. बड़ी बात तो ये है कि आज के फैसले के बाद भले ही लालू राजनीति ना कर पाएं लेकिन उन्हें लेकर राजनीति फिर भी चलती रहेगी.
चारा घोटाले में कुल 64 केस, जिसमें से 5 लालू पर
1996 में सामने आए चारा घोटाले के कुल 64 केस में से लालू यादव पर 5 केस चल रहे हैं. इनमें से 4 केस की सुनवाई रांची की सीबीआई अदालत में ही चल रही है. फरवरी 2002 से शरू हुए केस के ट्रायल में 19 अक्टूबर 2012 से अंतिम बहस शुरू हुई. इस साल 17 सितंबर को दोनों तरफ की बहस पूरी हो गई. सीबीआई के विशेष जज पी के सिंह ने फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर की तारीख मुकर्रर की थी.
बिहार की राजनीति में लालू यादव
बिहार पर 15 साल तक शासन करने के बाद लालू आज एक हारे हुए सेनापति की तरह जरूर हैं लेकिन बिहार की जमीन जिस राजनीति को पैदा करती है, लालू आज भी उसके लिए अहम खाद हैं. सत्ता के समीकरण और वोट बैंक पॉलिटिक्स में लालू आज भी बहुत अहम हैं. भले ही बिहार की कुर्सी उनसे छिन गई हो पर वोट प्रतिशत की बात करें तो लगता है कि अब भी वो जनता की पसंद हैं. जाहिर है अगर लालू चारा घोटाले के केस में दोषी करार हो गए तो विरोधियों के लिए खासकर नीतीश कुमार के लिए जैसे बैठे-बिठाए हाथों में लड्डू मिल जाने जैसा हो जाएगा.
पिछले दिनों जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूटा है, साफ हो गया है कि लालू को तो इसका फायदा मिलेगा ही. ऐसे में चारा घोटाले का फैसला लालू के वोट बैंक की सियासत को भी असर कर सकता है. विरोधी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे और लालू जेल में रहकर उसका जवाब भी नहीं दे पाएंगे. बीजेपी ने तो अभी से हल्लाबोल दिया है और दागी नेताओं को बचानेवाले अध्यादेश के बहाने कांग्रेस पर भी कीचड़ उछाला है. बड़ी बात तो ये है कि आज के फैसले के बाद भले ही लालू राजनीति ना कर पाएं लेकिन उन्हें लेकर राजनीति फिर भी चलती रहेगी.
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