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चारा घोटाले में लालू को पांच साल की कैद, 25 लाख जुर्माना

रांची। चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को पांच साल कैद और 25 लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई। रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने उनके साथ नरमी बरतने की तमाम अपीलों को ठुकरा दिया। इसी के साथ अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी चार साल कैद की सजा सुनाई। उधर, आरजेडी ने आरोप लगाया है कि लालू यादव के खिलाफ राजनीतिक साजिश हुई है। फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी सामाजिक न्याय आंदोलन के नायक बनकर उभरे लालू यादव के राजनीतिक भविष्य पर गुरुवार को बड़ा ग्रहण लग गया। चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जा चुके लालू यादव को रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने पांच साल की कैद और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। 

17 साल तक मुकदमे के बाद अदालत ने 30 सितंबर को लालू यादव को धारा 120 बी यानी आपराधिक साजिश रचने, धारा 420 यानी धोखाधड़ी करने, धारा 467 यानी पैसों का फर्जीवाड़ा करने, धारा 468 यानी धोखाधड़ी के इरादे से फर्जीवाड़ा करने, धारा 477 ए यानी फर्जीवाड़े का सबूत मिटाने और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1डी) और 13(2) के तहत दोषी ठहराया गया। सजा सुनाए जाने से पहले अदालत में दोनों पक्षों ने अपनी - अपनी दलीलें दीं। सीबीआई ने लालू के लिए सात साल की अधिकतम सजा की मांग की। सीबीआई ने कहा कि ये सामान्य मामला नहीं है। लालू यादव तमाम प्रतिष्ठित पदों पर रहे हैं। ऐसे व्यक्ति से उम्मीद नहीं की जाती कि वो ऐसे मामले में शामिल होगा। इस केस में असामान्य देरी हुई। जनता का व्यवस्था पर भरोसा बढ़े, इसके लिए सख्त सजा जरूरी है। लालू के वकील ने इसका सख्त विरोध किया। वकील ने दलील दी कि लालू यादव की उम्र 67 साल है और वे कई गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में हैं।

 रेल मंत्री के रूप में उन्होंने शानदार काम किया और रेलवे को फायदे में लाए। जांच में उन्होंने सहयोग किया। 41 एफआईआर उनके आदेश पर ही दर्ज हुई थीं। लालू यादव ने जांच के दौरान सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए इसलिए उनके साथ नरमी बरती जानी चाहिए। जाहिर है, अदालत पर बचाव पक्ष की अपील का कोई असर नहीं पड़ा। इसी के साथ अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भी चार साल की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा को भी चार साल की कैद और पांच लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई। सजा सुनने के लिए लालू अदालत में मौजूद नहीं थे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दोषियों को ये सजा सुनाई गई जैसा कि तय हुआ था। 

लेकिन लालू की पार्टी यानी राष्ट्रीय जनता दल का मानना है कि वे पूरी तरह निर्दोष हैं। उन्हें बीजेपी और जेडीयू के षड़यंत्र का शिकार होना पड़ा है। उधर, बीजेपी ने इस फैसले का स्वागत किया है। बाहरहाल, आरजेडी ने साफ किया है कि अदालती लड़ाई थमी नहीं है। जल्द ही ऊपरी अदालत में लालू की सजा के खिलाफ अपील की जाएगी। लालू को सजा मिलते ही उनकी संसद की सदस्यता समाप्त हो गई है। अब वे अगले छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। यानी न तो वो इस लोकसभा चुनाव और न ही अगले लोकसभा चुनाव में और न ही आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में खड़े हो पाएंगे।

क्या है मामला?
पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव अब कैदी नंबर 3312 बन चुके हैं। लालू यादव को चारा घोटाले के एक मामले में सहयोगी होने का दोषी पाया गया। इस मामले में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा औऱ जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 38 लोग दोषी हैं। चारा घोटाले का ये मामला चाईबासा ट्रेजरी से जुड़ा है। इसमें कागजों पर पशुओं के लिए फर्जी चारा दिखाकर 37 करोड़ 68 लाख रुपए अवैध रुप से निकाले गए थे। इसमें पशुपालन विभाग के अधिकारी, सप्लायर, आईएएस अफसर समेत कई राजनेताओं के नाम भी सामने आए। लालू यादव पर अन्य धाराओं सहित पूरे षडयंत्र में शामिल होने, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ है।
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