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ऐतिहासिक मंगल अभियान, दोपहर 2:38 पर होगी लॉन्चिंग

मंगलवार को दोपहर 2.38 बजे पर भारत इतिहास रचने वाला है. क्योंकि इसी वक्त देश का सबसे बड़ा अंतरिक्ष मिशन लॉन्च होगा. मंगल मिशन से भारत लाल ग्रह से जुड़े तमाम रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश करेगा. मंगलयान मिशन के जरिए मंगल के करीब पहुंचने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश बन जाएगा. उलटी गिनती जारी है, अब भारत अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में एक नया अध्याय लिखने वाला है. बस अब कुछ ही लम्हों की दरकार है जब दुनिया भारत के चमत्कार को नमस्कार करेगी. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में मंगलयान को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए 45 मीटर ऊंचा पीएसएलवी सी 25 तैयार और तैनात खड़ा है. 

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में 5 नवंबर का दिन सबसे बड़े और खास है. क्योंकि मंगल की कक्षा में सेटेलाइट भेजने वाला भारत दुनिया का तीसरा देश बना जाएगा. हालांकि इसरो के चेयरमैन की मानें तो इस अभियान के जरिए मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि खुद से ही है. मंगलवार को जैसी ही घड़ी की सुई दोपहर 2.38 का वक्‍त दिखाएगी, ठीक उसी वक्त पीएसएलवी सी 25 मंगलयान को लेकर आसमान का सीना चीरते हुए मंगल की राह पर निकल पड़ेगा. इस मिशन पर भारत के वैज्ञानिक काफी वक्त से काम कर रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर इस मिशन का उद्देश्य क्या है. दरअसल भारत के मिशन मार्स का असल उद्देश्य है सुदूर अंतरिक्ष में यानी डीप स्पेस कम्युनिकेशन में अपना तकनीकी लक्ष्य हासिल करना. चंद्रमा से भी दूर जाने का ये पहला मिशन है लिहाजा तकनीती चुनौतियों को परखना प्राथमिकता है. मंगल ग्रह इसरो के लिए बिलकुल नया है, इसलिए मंगल की कक्षा में घुसने पर भारत से मंगलयान को कैसे कंट्रोल किया जाएगा? यान कैसे पहले से तय वक्त तक टिका रहेगा? इसका भी परीक्षण हो जाएगा. 

मिशन मंगल से इसरो ये भी जानना चाहता है कि अंतरिक्ष में किसी आपातकालीन स्थिति से कैसे निपटेगा. फिलहाल मार्स पर यान भेजा जा रहा है लेकिन भविष्य में क्या किसी इंसान को भी मंगल पर भेजा जा सकता है? इसकी संभावना भी तलाशी जाएगी.मंगलयान में लगे मिथेन सेंसर फॉर मार्स का काम है मार्स पर मिथेन गैस को ढूंढना, जिससे ये पता चल सके कि मंगल की धरती पर बैक्टीरिया का वास है या नहीं. इससे मंगल पर जिंदगी के अवशेष की जानकारी मिल सकेगी. मंगलयान में लगे स्पेक्ट्रोमीटर से ये भी पता लगाने की कोशिश होगी कि मगंल के गर्भ में कौन से खनिज हैं. ये जरूरी इसलिए भी है क्योंकि कई खनिजों का निर्माण पानी की मौजूदगी में ही होता है. अगर भारत का मार्स ऑर्बाइटर मिशन यानी मंगलयान अपने मकसद में पूरी तरह से कामयाब रहता है तो फिर अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक की दुनिया में हिंदुस्तान की पहचान और कद वीआईपी कोटे में फिक्स हो जाएगी. मंगलयान की खासियत ही अपने आप में अहम है. इसे पूरा करने में 450 करोड़ रुपये लगे हैं. 

यही नहीं मंगलयान अपने सफर में 20 करोड़ से 40 करोड़ किलोमीटर तक का सफर तय करेगा. मंगलयान मिशन से पहले अमेरिका और रूस भी मंगल के लिए यान भेज चुके हैं. 1960 में रूस ने पहली बार इसके लिए कोशिश की थी और आज अमेरिकी यान मंगल की सतह पर पहुंचकर लाल ग्रह के रहस्यों को बेपर्दा कर रहे हैं. भारत तैयार है, दुनिया के उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा होने के लिए, जिन्हें सुदूर अंतरिक्ष विज्ञान में महारथ हासिल है. मंगल के करीब जाने के मंगलयान मिशन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. लाल ग्रह के सैकड़ों-हजारों रहस्यों को जानने के लिए दुनिया सालों से कोशिश करती आ रही है, जिसका इतिहास 1960 तक पीछे जाता है. जब रूस ने दुनिया के पहले मिशन मंगल का आगाज किया, जिसे नाम दिया गया कोराब्ल 4. हालांकि ये मिशन फेल हो गया.

- 1965 में अमेरिका के स्पेसक्राफ्ट मैरिनर 4 ने पहली बार मंगल की तस्वीर धरती पर भेजी और मंगल के लिए ये पहला सफल मिशन साबित हुआ.

- पहली बार 1971 में सोवियत संघ का ऑर्बाइटर लैंडर मार्स 3 यान मंगल पर उतरा.

- 1996 में अमेरिका ने मार्स ग्लोबल सर्वेयर स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया जो अपने रोबोटिक रोवर के साथ मंगल की सतह पर उतरा.

- 2004 में अमेरिका ने फिर अपने दो रोवरयान स्पिरिट और ऑपरच्यूनिटी को मंगल की सतह पर उतारा.

- 26 नवंबर 2011 में अमेरिका ने क्यूरियोसिटी रोवर को ल़ॉन्च किया, जिसकी 6 अगस्त 2012 में मंगल की सतह पर सफल लैंडिंग हुई.

अमेरिका के मिशन मंगल ने अबतक लालग्रह से कई अहम जानकारियों के इक्ट्ठा कर नासा के वैज्ञानिकों तक पहुंचाया है. रोवर अभी भी मंगल के वायुमंडल का परीक्षण कर रहा ह. साथ ही इस मिथक की भी खोज हो रही है कि कभी मगंल पर जिंदगी भी बसा करती थी. मिशन रोवर से ये जानने की कोशिश की जा रहा है कि क्या मंगल के किसी कोने में जीवन के लिए अनुकूल परिस्थियां हैं या नहीं. मंगलयान 3 चरणों में मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा. पहले चरण में मंगलयान 4 सप्ताह तक धरती का चक्कर लगाएगा. इस दौरान मंगलयान धीरे-धीरे पृथ्वी की कक्षा से दूर होता जाएगा. दूसरे चरण में मंगलयान पृथ्वी की कक्षा से बाहर हो जाएगा. तीसरे चरण में 21 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा मंगलयान.

इसरो प्रमुख ने मिशन की सफलता के लिए ईश्वर से की प्रार्थना
भारत के पहले मंगल अभियान से पहले इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने सोमवार को भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के मंदिर में उसकी सफलता की प्रार्थना की. मंदिर सूत्रों ने बताया कि पत्नी पद्मिनी सहित राधाकृष्णन ने मंगलवार को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केन्द्र से होने वाले पीएसएलपी-सी25 के सफल प्रक्षेपण के लिए प्रार्थना की.
ईश्वर में अगाध श्रद्धा रखने वाले राधाकृष्णन पीएसएलवी-सी25 की रेप्लिका के साथ 2,000 वर्ष पुराने मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी का आशीर्वाद लेने पहुंचे. रेप्लिका को कुछ देर के लिए भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा के चरणों में रखा गया. सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक प्रक्षेपण से पहले राधाकृष्ण उसकी सफलता के लिए आशीर्वाद लेने मंदिर आते हैं और सफल प्रक्षेपण के बाद भी वह भगवान के दर्शन करते हैं.

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