160 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ी दिल्ली से आगरा सेमी हाईस्पीड ट्रेन
नई दिल्ली : देश की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन का गुरुवार को ट्रायल किया गया। 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली यह ट्रेन सुबह 11:15 बजे नई दिल्ली के प्लैटफॉर्म नंबर 6 से रवाना हुई। यह 90 मिनट में 195 किमी का सफर तय कर आगरा कैंट पहुंचेगी। अगर ट्रेन का परीक्षण कामयाब रहा तो रेल बजट में इस ट्रेन की घोषणा हो सकती है और नवंबर से दिल्ली-आगरा के बीच इस ट्रेन की औपचारिक शुरुआत कर दी जाएगी। फिलहाल भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल कर 120 मिनट में दिल्ली से आगरा पहुंचाती है। 5400HP के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव से लैस इस ट्रेन में रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर पीके वाजपेयी और दिल्ली और आगरा के डिविजनल मैनेजर (डीआरएम) समेत शीर्ष अधिकारी सफर कर रहे हैं। मीडिया को इससे दूर रखा गया है।
सुरक्षा चाक-चौबंद
ट्रेन के परीक्षण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद बनाए रखने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए। किसी भी तरह की असुरक्षा और अवरोध को दूर करने के लिए ट्रैक के साथ-साथ करीब 27 किलोमीटर लंबी बाड़बंदी भी की गई है। प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ रेलवे ऑफिसर के मुताबिक, हाइस्पीड ट्रेन के परिचालन के लिए ट्रैक तैयार करने में करीब 15 करोड़ का खर्च आएगा।
ट्रेन के परीक्षण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद बनाए रखने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के जवान तैनात किए गए। किसी भी तरह की असुरक्षा और अवरोध को दूर करने के लिए ट्रैक के साथ-साथ करीब 27 किलोमीटर लंबी बाड़बंदी भी की गई है। प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ रेलवे ऑफिसर के मुताबिक, हाइस्पीड ट्रेन के परिचालन के लिए ट्रैक तैयार करने में करीब 15 करोड़ का खर्च आएगा।
बड़े सपने की छोटी शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने भारत को बुलेट ट्रेन चलाने बड़ा का सपना दिखाया है। दिल्ली-आगरा के बीच
160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की पहल इस बड़े सपने की बहुत
छोटी शुरुआत है।
हमारी चुनौतियां
सुनील कुमार (पूर्व सलाहकार, रेल मंत्रालय) के मुताबिक हाई स्पीड ट्रेन चलाने का सपना देख रहे भारतीय रेलवे के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं, जैसे-
1. यहां पटरी पर जानवर आ जाते हैं। रेल रूट के बीच सुरंगें, पुल, मानव रहित क्रॉसिंग आदि आते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए रेलवे को दो हजार किलोमीटर की फेंसिंग करनी होगी।
1. यहां पटरी पर जानवर आ जाते हैं। रेल रूट के बीच सुरंगें, पुल, मानव रहित क्रॉसिंग आदि आते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए रेलवे को दो हजार किलोमीटर की फेंसिंग करनी होगी।
2. मौजूदा पटरियों पर हाईस्पीड ट्रेनें दौड़ाना संभव नहीं है।
इन पटरियों पर ट्रैफिक जरूरत से ज्यादा और धीमा है। हमारे 64 हजार किमी
से ज्यादा लंबे ट्रैक में से केवल 15-20 फीसदी ही ऐसे हैं जो ट्रेनों की
तेज रफ्तार झेल सकते हैं। पर, यह रफ्तार भी सौ किमी प्रति घंटा के अंदर ही
है।
3. नई पटरियां बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा, जमीन और
वक्त चाहिए। जापान ने 1964 में पहली हाई स्पीड ट्रेन चलाई थी। तब से आज
तक वह 2040 किमी का ट्रैक ही विकसित कर पाया है। ये पटरियां बिछाने की लागत
आम पटरियों से कई गुना ज्यादा आती है। एक किमी पटरी बिछाने पर तीन करोड़
का खर्च आता है, जबकि बुलेट ट्रेन के लिए एक किमी लंबा ट्रैक बनाने पर 8
करोड़ का खर्च आता है। एक बुलेट ट्रेन की कीमत में सामान्य ट्रेन के पांच
हजार डिब्बे खरीदे जा सकते हैं।
हमारी जरूरतें
एमएस रमैया स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के प्रोफेसर मोहन डी. देशपांडे
की राय है कि अभी भारत इस स्थिति में ही नहीं है कि बुलेट ट्रेन चलाई जाए।
अगर चल भी जाए तो योजना सफल नहीं होगी। उनकी राय में हमें बुलेट ट्रेन की
जरूरत तो है, पर इससे पहले मौजूदा व्यवस्था में ही कई बुनियादी सुधार की
जरूरत है। जैसे-
1. अभी मौजूदा व्यवस्था को सुधार कर रेल का सफर तेज,
सुरक्षित और आरामदायक बनाने की जरूरत है। ट्रेनों में सुरक्षा, सफाई जैसी
बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी कई परियोजनाएं ही सालों से लंबित हैं।
2. ऐसी व्यवस्था हो कि हमें कम समय के अंतराल में भी कंफर्म
टिकट मिले और रिजर्व्ड डिब्बे में भी यात्रियों की भारी भीड़ जैसी
समस्या से छुटकारा दिलाया जाए।
3. अभी ट्रेनें समय से चले तो हम हैरान होते हैं। यह सूरत
बदलनी ही चाहिए। मौजूदा पटरियों को इस लायक बनाया जाए कि ट्रेनें सामान्य
रफ्तार से चल सकें।
4. एक तो ट्रेनें देर से चलती हैं और इस बारे में स्टेशनों पर
यात्रियों को जानकारी देने की भी मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। उन्हें यह
पता करने में भी काफी परेशानी होती है कि उनकी ट्रेन किस प्लैटफॉर्म पर
आएगी।
5. स्टेशनों पर सामान ढोने के लिए हैंडरेल का इंतजाम होना चाहिए।
जो देश बुलेट ट्रेन में पैसा लगा रहे हैं, उन्होंने सामान्य रेल
यातायात व्यवस्था का स्तर काफी मजबूत कर लिया है। भारत अभी काफी पीछे
है। अच्छी बात यह है कि यह सब करने के लिए नई तकनीक, नया
इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं चाहिए। लिहाजा बुलेट ट्रेन चलाने की तुलना में यह
सब करना बेहद आसान है, बशर्ते राजनीतिक इच्छाशक्ति हो।
दुनिया की पांच सबसे तेज रफ्तार ट्रेनें
शंघाई मैग्लेव
देश: चीन
टॉप स्पीड: 430km/h
क्षमता: 501km/h
कब शुरुआत: 2004
देश: चीन
टॉप स्पीड: 430km/h
क्षमता: 501km/h
कब शुरुआत: 2004
हार्मनी सीआरएच 380A
देश: चीन
टॉप स्पीड: 350km/h
क्षमता: 487km/h
कब शुरुआत: 2010
एजीवी इतालो
देश: इटली
टॉप स्पीड: 360km/h
क्षमता: 575km/h
कब शुरुआत: 2012
शिन्कानसेन ई5
देश: जापान
टॉप स्पीड: 320km/h
क्षमता: 400km/h
कब शुरुआत: 2011
देश: जापान
टॉप स्पीड: 320km/h
क्षमता: 400km/h
कब शुरुआत: 2011
टीजीवी
देश: फ्रांस
टॉप स्पीड: 320km/h
क्षमता: 380km/h
कब शुरुआत: 1980
बुलेट ट्रेन से जुड़े फैक्ट्स
- जापान ने सबसे पहले एक अक्टूबर 1964 को बुलेट ट्रेन की शुरुआत की थी। ओसाका से टोक्यो के बीच करीब 320 मील की दूरी तक ट्रेन चलाई गई थी।
- सबसे लंबी दूरी तक बुलेट ट्रेन चलाने का रिकॉर्ड चीन के पास है। बीजिंग से ग्वांग्झू के बीच 1,428 मील की दूरी आठ घंटे में तय की जा सकती है।
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