समर्थन जुटाने भारत पहुंचे मधेशी नेता, दिल्ली में शरद यादव से की मुलाकात
नई दिल्ली। नेपाल के नए संविधान में मधेशियों को उपेक्षित किए जाने के मुद्दे पर भारत से समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली पहुंचे मधेशी नेताओं ने कहा कि नेपाल सरकार जब तक उनकी मांग मान नहीं लेती, तब तक मधेशी आंदोलन जारी रहेगा। नेपाल की सदभावना पार्टी के अध्यक्ष राजेन्द्र महतो ने जनता दल यूनाइटेड अध्यक्ष शरद यादव से मुलाकात के बाद मीडियाकर्मियों को कहा कि नेपाल के संविधान में मधेशियों के हितों की अनदेखी की गई है और जब तक उनकी मांग नहीं मांग ली जाएगी तब तक आंदोलन की आंच ठंडी नहीं होने दी जाएगी। मधेशी आंदोलन के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने के मुद्दे पर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है। संघीय समाजवादी नेपाल फोरम के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने भरोसा जताया कि मधेशी आंदोलन का असर भारत और नेपाल के रिश्तों पर नहीं पड़ेगा।
गौरतलब है कि मधेशी आंदोलन से जुड़े नेताओं की मुलाकात शरद यादव के तुगलक रोड स्थित उनके आवास पर हुई है। मुलाकात के दौरान आंदोलनकारियों ने अपने लिए उनकी पार्टी का समर्थन मांगा। मधेशी मुख्य रूप से नेपाल निवासी हैं, जो दक्षिणी भाग के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं। इस क्षेत्र को \'तराई क्षेत्र भी कहते हैं। इसी क्षेत्र को \'मधेश भी कहते हैं। मधेश शब्द \'मध्यप्रदेश का अपभ्रंश है। यहां की जमीन उपजाऊ है और आबादी भी घनी है। मधेशियों में इस बात का आक्रोश है कि उनकी उपेक्षा की जाती है। नेपाल में मधेशियों की संख्या सवा करोड़ से अधिक है। इनकी बोली मैथिली है। ये हिंदी और नेपाली भी बोलते हैं। भारत के साथ इनका हजारों साल पुराना रोटी-बेटी का संबंध है, लेकिन इनमें से 56 लाख लोगों को अब तक नेपाल की नागरिकता नहीं मिल पाई है। जिन्हें नागरिकता मिली भी है, वह किसी काम की नहीं क्योंकि उन्हें न तो सरकारी नौकरी में स्थान मिलता है और न ही संपत्ति में। मधेशी नेताओं का कई नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है।
गौरतलब है कि मधेशी आंदोलन से जुड़े नेताओं की मुलाकात शरद यादव के तुगलक रोड स्थित उनके आवास पर हुई है। मुलाकात के दौरान आंदोलनकारियों ने अपने लिए उनकी पार्टी का समर्थन मांगा। मधेशी मुख्य रूप से नेपाल निवासी हैं, जो दक्षिणी भाग के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं। इस क्षेत्र को \'तराई क्षेत्र भी कहते हैं। इसी क्षेत्र को \'मधेश भी कहते हैं। मधेश शब्द \'मध्यप्रदेश का अपभ्रंश है। यहां की जमीन उपजाऊ है और आबादी भी घनी है। मधेशियों में इस बात का आक्रोश है कि उनकी उपेक्षा की जाती है। नेपाल में मधेशियों की संख्या सवा करोड़ से अधिक है। इनकी बोली मैथिली है। ये हिंदी और नेपाली भी बोलते हैं। भारत के साथ इनका हजारों साल पुराना रोटी-बेटी का संबंध है, लेकिन इनमें से 56 लाख लोगों को अब तक नेपाल की नागरिकता नहीं मिल पाई है। जिन्हें नागरिकता मिली भी है, वह किसी काम की नहीं क्योंकि उन्हें न तो सरकारी नौकरी में स्थान मिलता है और न ही संपत्ति में। मधेशी नेताओं का कई नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है।
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