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छत्तीसगढ़ के गोर्खाली-तिब्बती बहुल 'मैनपाट' के पर्यटन स्थलों को किया जाएगा विकसित


वीर गोरखा न्यूज पोर्टल 
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा है कि मैनपाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। मैनपाट महोत्सव के समापन अवसर पर अंतिम दिन रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति में नेपाली डांस  गया। आस पास के क्षेत्र में तिब्बती लोगों के अलावा बड़ी संख्या में गोर्खाली समुदाय कई दशकों से यहां बसी हुई है। नेपाली सांस्कृतिक  नृत्य के अलावा तिब्बती डांस ग्रुप, कलकता रॉक डांस ग्रुप और प्रियंका ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसके साथ ही स्कूलों के छात्र छात्राओं ने छत्तीसगढ़ी डांस, नागपुरी डांस, फनी डांस, नाटक, बम-बम बोले डांस, कर्मा नृत्य, लोक नृत्य कार्यक्रमों की प्रस्तुति देकर शमा बांध दिया।

पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए स्वीकृत
छत्तीसगढ़ के सरगुजा से लेकर बस्तर तक के पर्यटन स्थलों का विकास करने के लिए केन्द्र सरकार से 100 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत कराई गई है। बघेल रविवार देर शाम सरगुजा जिले के मैनपाट में तीन दिवसीय रंगारंग मैनपाट महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। पर्यटन मंत्री बघेल ने कहा कि मैनपाट का और बेहतर विकास हो,ताकि मैनपाट का नाम देश-दुनिया में विख्यात हो। मैनपाट की ख्याति बढ़ाने के लिए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए स्वीकृत 100 करोड़ रुपए की राशि से मछली प्वाइंट, मेहता प्वाइंट, टाईगर प्वाइंट एवं दलदली प्वाइंट आदि स्थलों का विकास कराया जाएगा। 

पर्यटन मंत्री बघेल ने कहा कि पर्यटन स्थलों में मैनपाट की एक अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि मैनपाट को पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए इसका प्रचार-प्रसार भी कराया जा रहा है। बघेल ने कहा कि मैनपाट की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए साल वृक्षों को बचाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैनपाट का मौसम बहुत सुहावना है और इसे बनाए रखने के लिए यहां के वनों को बचाए रखना जरूरी है। बघेल ने मैनपाट महोत्सव को हर वर्ष और भव्यता के साथ आयोजित कराने के लिए जिला प्रशासन की सराहना की।

छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है मैनपाट 
मैनपाट अम्बिकापुर से 75 किलोमीटर दुरी पर है इसे छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता है। मैंनपाट विन्ध पर्वत माला पर स्थित है जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट है इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर है अम्बिकापुर से मैंनपाट जाने के लिए दो रास्ते है पहला रास्ता अम्बिकापुर-सीतापुर रोड से होकर जाता और दुसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैंनपाट तक जाता है। प्राकृतिक सम्पदा से भरपुर यह एक सुन्दर स्थान है। यहां सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम हुआ है। इसे छत्तीसगढ का तिब्बत भी कहा जाता हैं। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौध मंदिर आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर एक सैनिक स्कूल भी प्रस्तावित है। यह कालीन और पामेरियन कुत्तो के लिये प्रसिद्ध है।


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