भारत के सवा करोड़ गोरखाओं की 'राष्ट्रीय पहचान समस्या' की औषधी है पृथक गोरखालैंड राज्य : सीके श्रेष्ठ
वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क
कर्सियाग : दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में गोरखा नववर्ष -2074 के सुखद अवसर में गोरखा सास्कृतिक संस्थान, कर्सियाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय सास्कृतिक समावेश कार्यक्रम के अंतिम दिन वार्ता का कार्यक्रम संपन्न हुआ। आशा मुखिया लामा की अध्यक्षता में संपन्न वार्ता में गोरखा समाज के बुद्धिजीवी एवं वरिष्ठ समाजसेवक चंद्र किशोर श्रेष्ठ ने कहा कि गोरखालैंड समस्या नहीं, राष्ट्रीय पहचान समस्या है। गोरखालैंड राष्ट्रीय पहचान का एक औषधी है। उन्होंने कहा कि गोरखालैंड का मुद्दा दार्जिलिंग पहाड़ में मात्र केन्द्रित रहा। इसका अवधारणा अस्पष्ट हुआ।
भारत के गोरखाओं की पहचान के संकट
सीके श्रेष्ठ ने आगे कहा कि पृथक गोरखालैंड राज्य संपूर्ण भारत के 1 करोड़ 25 लाख गोरखाओं की पहचान के संकट का समाधान है। इसलिए गोरखालैंड के लिए संपूर्ण भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विकास सभी को चाहिए। परंतु यह विकास यदि अपनी जाति के बदले है तो , इसे इनकार करना चाहिए। आज विकास बोडरें का गठन हुआ है। लेनेवाले ले रहे हैं। परंतु लेनेवाले को इसके उद्देश्य के बारेमें समझना चाहिए।
'पहाड़ के सभी राजनीतिक दल हमारे ही गोरखा लोग'
उन्होंने कहा कि आज तृणमूल कांग्रेस, गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (गोरामुमो) अथवा गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) पार्टी के ही बोर्ड लेनेवाले क्यों न हो, वे सभी हमारे गोरखा ही हैं। विकास के बहार में यदि हम बंगोप सागर में पहुंच गये तो असुविधा होगा। गोरखा भारतीय विचार मंच को संगठन नहीं, बल्कि एक विचार मंच ही उन्होंने बताया। उन्होंने कहा कि इसमें कोई सदस्यता नहीं है। देश व जाति के अहित में यदि कोई कार्य होता है तो यह मंच बर्दाश्त नहीं करेगा।
कार्यक्रम में विविध कलाकारों द्वारा रंगारंग सास्कृतिक प्रस्तुति
समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में साहित्यकार बुद्धिमान प्रधान सहित कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति थी। कार्यक्रम में विविध कलाकारों द्वारा रंगारंग सास्कृतिक प्रस्तुति के तहत गीत, नृत्य आदि पेश किया गया। समारोह के अंत में संस्थान के अध्यक्ष आशा मुखिया लामा ने लोगों के प्रति अपना आभार जताया।
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