भारतीय सेना में 200 साल का हुआ 9 गोरखा रेजीमेंट, बनारस में हुई थी स्थापना, 39 GTC में दो दिवसीय कार्यक्रम
वाराणसी : गोरखा रेजीमेंट का नाम सुनते ही दुश्मनों की नींद उड़ जाती है। वीरता व साहस का प्रतीक गोरखा रेजीमेंट की 9 GR की स्थापना के 200 साल पूरे हो गये हैं। गुरुवार को इस अवसर पर 39 जीटीसी ग्राउंड पर दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। जवानों ने बाइक से जब करतब दिखाया तो लोगों ने दातों तले अंगुली दबा ली। गोरखा रेजीमेंट के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए खुद थल सेना प्रमुख बिपिन रावत भी पहुंच चुके हैं। गोरखा रेजीमेंट के सहास के किस्से लिखे जाये तो शब्द ही कम पड़ जायेंगे। आजादी के पहले से ही देश की सेवा करते आये हैं। 39 जीटीसी में दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने के साथ ही पुस्तकों का विमोचन किया गया। जवानों के करतब ने सबको कायल बना दिया। सैनिकों के चेहरे पर स्थापना दिवस के 200 साल होने का उत्साह साफ दिखायी दे रहा था। सैनिकों का यही कहना था कि चाहे कुछ हो जाये लेकिन देश पर आन पर किसी तरह आच नहीं आने देंगे।
गौरवशाली इतिहास है गोरखा रेजीमेंट का
गोरखा रेजीमेंट का इतिहास बहुत गौरवशाली है। गोरखा रेजीमेंट से सारे विश्व के लोग डरते हैं और बनारस में ही सन 1817 में 9 गोरखा रेजीमेंट की स्थापना हुई थी। गोरखा रेजीमेंट ने प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी अंग्रेजों की तरफ से गोरखा रेजीमेंट ने लड़ाई लड़ी थी और कई देशों की सेना को पटखनी दी थी। गोरखा रेजीमेंट का नारा जय महाकाली, जय गोरखाली का नारा सैनिकों में जोश भर देता है। गोरखा रेजीमेंट का मानना है कि कायर हो जाने से बेहतर मर जाना होता है। भारतीय सेना में 9 गोरखा राइफल्स सहित सात गोरखा रेजीमेंट है। गोरखा रेजीमेंट को नौ विक्टोरिया क्रास, एक अशोक चक्र, पांच पीवीएसएस, पांच महावीर चक्र सहित अनेक पुरस्कार जीते हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि गोरखा रेजीमेंट का दूसरा नाम शौर्य व श्रेष्ठता है।
थल सेना अध्यक्ष के पहुंचने से जवानों में आया जोश
थल सेना अध्यक्ष बिपिन रावत भी कार्यक्रम में भाग लेने काशी पहुंच चुके हैं। थल सेना अध्यक्ष ने काशी के घाट के साथ गंगा आरती भी देखी है। 10 नवम्बर को बिपिन रावत 39 जीटीसी में चल रहे कार्यक्रम में शामिल होंगे। थल सेना अध्यक्ष के आने से गोरखा रेजीमेंट के जवानों का उत्साह आसमान पर पहुंच चुका है।
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