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विक्टोरिया क्रास प्राप्त वीर गोरखा सैनिको का परिचय

तुल बहादुर पुन :( २३ मार्च १९२३) ब्रिटिश सेना के अंतर्गत 6 वी गोरखा राएफल्स के तीसरी बटालियन के इस राईफल मेन ने २३ जून १९४४ को बर्मा के मोगुंग गाँव में एक रेलवे ट्रैक पर हुए जापानी हमले के समय पुरी यूनिट के मारे जाने के अलावा बुरी तरह घायल होने के बावजूद एक साथ दो दो मशीन गन को चलाते हुए जापानी सेना को रोके रखा जिसके कारण विपक्षी सेना को वही पर रूक जाना पड़ा । सेना में किए गए अपने विशेष योगदान के लिए ब्रिटिश सरकार ने श्री पुन को मानद लेफ्टिनेंट पद प्रदान किया ।
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थामन गुरुंग : (२ अक्टूबर १९२४-१० नवम्बर १९४४) मोंतेला सेन बर्तेलो ,इटली में १० नवम्बर १९४४ को शहीद होने वाले ५ वी गोरखा रैफ़ल्स के दूसरी बटालियन के इस वीर गोरखा राईफल-मेन सैनिक ने अद्बूत शौर्य का परिचय देते हुए यूरोप में ब्रिटिश झंडे के तले भारतीय सेना के लिए अपनी जान हिटलर और मुसोलिनी के पिशाची सैनिको द्वारा सताए जा रहे मासूम यूरोपवासी जनता के लिए कुर्बान कर दिया । मात्र २० वर्ष की अल्पायु में इस वीर योद्धा को मरणोपरांत विक्टोरिया क्रास प्रदान किया गया।
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गाजे घाले : (१ जुलाई १९२२-२८ मार्च २०००) भारतीय सेना के ५ वी गोरखा राईफल्स के दूसरी बटालियन के इस हवलदार ने २४ मई से २७ मई १९४३ को दूसरे महायुद्ध के दौरान जापानी सेना के एक बेहद शक्तिशाली टुकडी का सामना चिंस पहाडियों (मयंमार) में डटकर किया इस लड़ाई में घाले बुरी तरह घायल हो गए थे उनके कंधे,पैर में गंभीर चोटे आई थी चिकित्सा के लिए वापस भेजे जाने पर भी घाले नही माने और भारी गोलाबारी में डटे रहे। बाद में सेना ने इन्हे मानद कप्तान पद से नवाजा।

आगन सिंह राई :(१९२०-२०० ) मात्र २४ वर्ष की आयु में ५ वी भारतीय गोरखा राईफल में नायक आगन सिंह द्वितीय विश्वयुध के दौरान २९ जून १९४४ को बिशेंपुर (जो की अब भारत के मणिपुर राज्य में है )में जो दुश्मन के द्वारा कब्ज़ा में ले लिया गया था में ब्रिटिश सेना की और से लड़ रहे इस नाइक ने खुद तीन जापानी सैनिको को उस वक्त अकेले भिड़ते हुए मार गिराया जिसके परिणामस्वरूप मित्र देशो की सेना की अगुवाई कर रहे ब्रितानवी सेना में उस इलाके को वापस पाने का उत्साह उत्पन्न हुआ । युद्ध के पश्चात श्री राई को ब्रिटिश सेना का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार विक्टोरिया क्रास प्राप्त हुआ।
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