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विक्टोरिया क्रास प्राप्त वीर गोरखा सैनिक .(२)

सूबेदार नेत्रबहादुर थापा
5 गोरखा राइफल्स, बर्मा
25/२६ जून १९४४
थापा को बर्मा युद्ध की अग्रिम मोर्चे के लिए बिशेनपुर में मोर्टार की कमान सम्हालने पर
दुश्मन पर हमला करना शुरू कर दिया। ३७ एमएम एवं ७५ एमएम की मोर्टार का भरपूर उपयोग करते हुए जापानी सेना के होश उडा दिए तथा उनके विशेष योगदान के कारण जापानी सेना के अग्रिम टुकडी को अत्यधिक हानि का सामना करना पड़ा ।
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सूबेदार लाल बहादुर थापा
२ गोरखा राईफल्स ,टुनिशिया
५/६ अप्रैल १९४३
इन्होने भी चिर परिचित गोरखा योद्धा लड़ाई की शैली में अफ्रीका के सुदूर देश टुनिशिया में जर्मन दुश्मनों से जमकर लोहा लिया। अपने ही बनकर में हुए हमले के दौरान दुश्मनों ने इनकी टुकडी को घेर लिया था उस समय लाल बहादुर ने अपने रिवोल्वर तथा खुकरी से दो जर्मन को काट डाला और वही डटे रहे जब तक इनकी अन्य टुकडी वह नही आ गई
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रायफलमैन करण बहादुर राणा
३ गोरखा
राइफल्स, फिलिस्तीन
10 अप्रैल, 1918
"सबसे विशिष्ट वीरता के लिए, प्रतिकूल परिस्थितियों में कार्रवाई और खतरे के समय अपने सैनिक धर्म के लिए समर्पित इस गोरखा योद्धा ने अंग्रेजो की इंडियन गोरखा आर्मी के लिए मध्य पूर्व में बेहतरीन शौर्य प्रतिभा का प्रदर्शन किया " ऐसा ब्रिटिश सरकार ने इनके बारे में वर्णन किया था ।
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रायफलमैन गंजू लामा
७ गोरखा राइफल्स, बर्मा
12 जून, 1944

.... 'बी' कम्पनी, 7 गोरखा राइफल्स के इस जांबाज़ योद्धा को जब युद्ध करने का आदेश दिया गया हमले तो स्थिति के बाद गंजू लामा ने अपने पिअट बंदूक की नंबर के दम पर दुश्मन सेना के तीन टेंको को ज़मींदोज़ करने में महती भूमिका निभाई थी। ...------------------------------------------------------------------------------------------------

रायफलमैन और गुरुंग
2. गोरखा राइफल्स, रईफल्में
5 मार्च 1945

.... रायफलमैन गुरुंग ने जापान के साथ लोहा लेते हुए लोमडी की बिल कही जाने वाली क्षेत्र में जापान सेना की टुकडी के सामने के लिए हथगोले ,ग्रेनेड के साथ हाथ एकल लाइट मशीनगन के बलबूते पुरे दिन बर्मा के सामरिक पश्चिम में अपने पलटन के लिए उन्होंने भारी सेना के सामने गोलाबारी करते हुए सुषमन के ऊपर भारी पड़े। आगे बढकर उन्होंने जापानी बंकर की छत पर हाथ ग्रेनेड समाप्त होने से दो जापानी को तुरंत अपने खुखरी से मार डाला।
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रायफलमैन कुलबीर थापा
3। गोरखा राइफल्स, फ्रांस
25/26th सितम्बर 1915
जर्मन के खिलाफ द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अपने विशिष्ट बहादुरी से न्साधन इस जांबाज़ गोरखा सैनिक मे जब खुद को 25 सितंबर 1915 को जर्मन पंक्ति से बिल्कुल करते हुए 2 लिसेस्तार्शायर रेजिमेंट की एक बुरी तरह घायल सैनिक को पाया, हालांकि ब्रिटिश सैनिक ने कुलबीर थापा से खुद को बचाने के लिए आग्रह किया और वह उसके साथ पूरे दिन और रात रहे ने 26 सितम्बर की सुबह, सर्द मौसम में उन्होंने जर्मनी के सरहद से उस घायल सैनिक को बाहर निकालकर तुलनात्मक सुरक्षा के एक स्थान पर उसे छोड़ लौटे।युद्ध में साहस के साथ अपने साथी की जान बचने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले इस वीर गोरखा को "वीर गोरखा" का नमन।

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