साकार हो रहा 'दून' का 80 साल पुराना ख्वाब
देहरादून। देवभूमि में आठ दशक पहले जंगलों से खुशहाली का जो ख्वाब देखा गया था, वह अब साकार होने लगा है। थोड़ा संबल मिला तो यह देशभर में अनूठी मिसाल बनकर सामने आई है। बात सूबे की वन पंचायतों की हो रही है, जिनके जरिए जंगल तो महफूज हैं ही, तरक्की की इबारत भी लिखी जाने लगी है। यही वजह भी है कि केंद्र सरकार ने इसे सराहा ही, देश के कई राज्यों ने भी इस पहल को अपने यहां अपनाने की इच्छा जताई है। यूं तो उत्तराखंड में जंगल और मनुष्य के रिश्ते प्राचीनकाल से ही मजबूत रहे हैं। गुजरी सदी में 70 के दशक तक ऐसा ही रहा। जंगलों से ग्रामीणों का बेहद लगाव था और जंगल उनकी जरूरतों की पूर्ति का साधन भी। इसे देखते हुए भारत रत्न पं.गोविंद बल्लभ पंत ने 1930-31 में वन पंचायतों की नींव रखी। इसके बेहतर नतीजे सामने आए, लेकिन बाद में वनों पर अधिकारों में कटौती के चलते बढ़ती गई वनों और ग्रामीणों के बीच दूरी। वनों के प्रति बेरुखी ने वन महकमे की पेशानी पर बल डाल दिए। फिर शुरू हुआ वन पंचायतो को मजबूती देने की कोशिशें, जो अब धीरे-धीरे रंग ला रही हैं। आज सूबे के कुल वन क्षेत्र के 15.32 फीसदी क्षेत्र का प्रबंधन, नियंत्रण 12089 वन पंचायतों के अधीन है। वन पंचायतें अपने दायित्व का बखूबी निर्वह्न भी कर रही हैं। अब तो सरकार का भी वन पंचायतों के सुदृढ़ीकरण पर जोर है। वन पंचायतों की करीब सवा लाख की फौज के बूते न सिर्फ ग्रामीणों को जंगलों की सुरक्षा को प्रेरित किया जा रहा, बल्कि रोजगारपरक कार्यक्रमों के जरिए आर्थिकी संवारने की कोशिशें भी चल रही हैं।
इस मॉडल की सफलता को देखते हुए केंद्र ने राज्य की पीठ थपथपाई। साथ ही, अन्य राज्यों ने भी अपने यहां इस मॉडल को अपनाने की मंशा जाहिर की है। इस सबके बावजूद वन पंचायतों की राह में चुनौतियां कम नहीं हैं। वन पंचायतों में रोजगारपरक प्रशिक्षण के बाद उत्पादों की मार्केटिंग बड़ी समस्या है। फिर जंगलों की सुरक्षा को जरूरी साजोसामान, उचित हक-हकूक का मसला भी कम बड़ा नहीं है। यही नहीं, तमाम मामलों में ग्राम और वन पंचायतों के मध्य सामंजस्य भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं।
" पंचायतों की मजबूती पर विशेष जोर है। अभी तक कोई कठिनाई सामने नहीं आई है। वन पंचायतें पूरी मुस्तैदी से कार्य कर रही हैं। यदि कोई दिक्कत आई भी तो मिल बैठकर दूर करा ली जाएगी'" - एसएस शर्मा, प्रमुख वन संरक्षक, वन पंचायत

Post a Comment