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उत्तराखंड में साक्षरता दर बढ़कर 79.63 फीसदी हुआ

देहरादून बेशक शिक्षा का असली मुकाम अभी काफी दूर है, मगर प्रदेश में काला अक्षर भैंस बराबर की कहावत दूर होने लगी है। पिछले 10 सालों करीब 20 लाख नए लोगों का साक्षर होना शुभ संकेत है। आखिर शिक्षित समाज की नींव साक्षरता ही होती है। कह सकते हैं कि इस अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर प्रदेश के पास संतोष जताने के लिए पर्याप्त कारण हैं। वर्ष 2001 की बात करें तो राज्य में महज 71 फीसदी लोग साक्षरता थे। महिलाओं में तो यह दर 59 फीसदी पर सिमटी थी। 2011 में साक्षरता का कुल आंकड़ा बढ़कर 79.63 फीसदी हो गया है।
जबकि महिलाओं में साक्षरता दर 70 फीसदी को पार कर गई है। आखर ज्ञान बढ़ने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 10 साल पहले 50 लाख लोग साक्षर थे, जो आज बढ़कर करीब 70 लाख हो गए हैं। देश के मुकाबले यह बढ़ोतरी पांच प्रतिशत से भी अधिक है। हर साल औसतन दो लाख लोग शिक्षा की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। बेशक उच्च शिक्षित वर्ग की संख्या प्रदेश में अपेक्षाकृत कम है, मगर शिक्षित समाज की शुरुआत कही जाने वाली साक्षरता तो बढ़ ही रही है। उम्मीद की जा रही कि देर-सवेर यह मंजिल भी मिल ही जाएगी। साक्षरता का उजियारा पिछड़े कहे जाने वाले गांवों में शहरों से अधिक दिखाई रहा है। एक दशक में गांव की साक्षरता शहरी क्षेत्रों के मुकाबले छह फीसदी अधिक रही। कहां कितनी बढ़ी साक्षरता

जिला 2001 2011

देहरादून 876441 1280462

उत्तरकाशी 161161 216322

चमोली 237354 284118

रुद्रप्रयाग 141078 169626

टिहरी 337816 401040

पौड़ी 641675 499212

पिथौरागढ़ 296362 350844

बागेश्वर 148464 181713

अल्मोड़ा 392640 440918

चंपावत 129947 179844

नैनीताल 508731 706750

ऊधमसिंहनगर 659165 1060739

हरिद्वार 754948 1225845

(स्रोत: जनगणना-2011)

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