सोनादा में भूस्खलन से कई परिवार प्रभावित
सोनादा. कर्सियांग महकमा के सोनादा के स्थानीय बाजार से करीब 10 किलोमीटर नीचे बालासन चाय बागान में गुरुवार को भोर में भूस्खलन आने से 98 परिवार प्रभावित हुए। हालांकि यह इलाका भूस्खलन के लिहाज से काफी संवेदनशील है और इसी कारण यहां इसका सिलसिला जारी रहता है। बड़े-बड़े चट्टानों के गिरने से कई लोग अपने घरों से पलायन कर गए और आनन-फानन में परिवार के साथ अन्यत्र स्थानों के लिए रवाना हुए। भूस्खलन में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक भोर में तीन बजे के समीप अचानक पत्थरों के गिरने की उन्होंने आवाज सुनी। इसके बाद घर के बाहर किसी अनहोनी की आशंका में निकले तो दृश्य देखकर उनके होश उड़ गए। बड़े-बड़े चट्टान उपर से गिर रहे थे और इनकी आवाज धीरे-धीरे बढ़ती गई।
लोग अपने परिवारों के सदस्यों के साथ अन्यत्र स्थानों के लिए रवाना हो गए। कई लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है और यहां अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इस बीच भूस्खलन स्थल का निरीक्षण करने के लिए जोरबंगला-सुकिया खंड अधिकारी यूटेन शेर्पा, संयुक्त खंड अधिकारी राजू शेर्पा, एसएई छिरिंग शेर्पा और ग्राम पंचायत के कई कर्मचारी पहुंचे। इस दौरान खंड विकास अधिकारी ने 16 परिवारों को राहत शिविर में भेज दिया है और अन्य पीड़ित लोगों को स्थिति का जायजा लेते हुए दूसरे स्थानों पर भेज दिया है। इसके अलावा तारपोलिन व अन्य सामग्री का भी वितरण कर दिया गया है। इस बीच महकमा शासक सहित अन्य अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया और पीड़ितों से बातचीत की। यह क्षेत्र काफी संवेदनशील माना जाता है और इसके कारण यहां समय-समय पर भूस्खलन आते रहते हैं।
लोग अपने परिवारों के सदस्यों के साथ अन्यत्र स्थानों के लिए रवाना हो गए। कई लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है और यहां अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इस बीच भूस्खलन स्थल का निरीक्षण करने के लिए जोरबंगला-सुकिया खंड अधिकारी यूटेन शेर्पा, संयुक्त खंड अधिकारी राजू शेर्पा, एसएई छिरिंग शेर्पा और ग्राम पंचायत के कई कर्मचारी पहुंचे। इस दौरान खंड विकास अधिकारी ने 16 परिवारों को राहत शिविर में भेज दिया है और अन्य पीड़ित लोगों को स्थिति का जायजा लेते हुए दूसरे स्थानों पर भेज दिया है। इसके अलावा तारपोलिन व अन्य सामग्री का भी वितरण कर दिया गया है। इस बीच महकमा शासक सहित अन्य अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया और पीड़ितों से बातचीत की। यह क्षेत्र काफी संवेदनशील माना जाता है और इसके कारण यहां समय-समय पर भूस्खलन आते रहते हैं।
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