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जीटीए में सभा जोड़ा जाना आश्चर्यजनक

कर्सियांग. पिछले दिनों 18 जुलाई को सिलीगुड़ी के पिंटेल विलेज में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन पर त्रिपक्षीय समझौता केंद्र, राज्य सरकार गोजमुमो के बीच हुआ था। इसका उद्देश्य क्षेत्र के लोगों की सामाजिक, आर्थिक, पूर्वाधार, शैक्षिक, सांस्कृतिक सहित क्षेत्रों का विकास था। नए निकाय में हस्तांतरण सहित संपूर्ण मामले को अधिकारिक स्तर पर त्रिपक्षीय सभा अंतर्गत सहमति हुई थी, लेकिन इस समझौते में अप्रत्याशित ढंग से सरकार ने परिवर्तन कर दिया है। यह बातें बातचीत के दौरान कर्सियांग के विधायक डॉ. रोहित शर्मा ने कही। उन्होंने बताया कि इसका पता पिछले दिनों उन्हें तब चला, जब उन्हें पारित होने वाले जीटीए मसौदे की कापी मिली। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग मसले का हल समझकर जिस पीटीए पर विगत 18 जुलाई को हस्ताक्षर किए गए थे, उस मसौदे के अनुरूप यह मसौदा नहीं है।

इसमें फेरबदल किया गया है और इसे पारित नहीं होने दिया जाएगा। इसको लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अपनी आपत्ति भी दर्ज करा दी है और इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। दोनों मसौदे में अंतर है। पिछले दिनों कोलकाता में राज्य के संसदीय मंत्री पार्थ चटर्जी सहित राज्य के प्रमुख सचिव समर घोष को जानकारी दे दी गई है। डा. शर्मा के अनुसार जीटीए को जीटीए सभा बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही आश्चर्य की बात है कि जीटीए में सभा शब्द कैसे जोड़ दिया गया। अप्रत्याशित ढंग से मसौदे में हुए परिवर्तन को संशोधन करने के लिए शुक्रवार दो सितंबर को चर्चा किया जाएगा। डा. शर्मा ने कहा कि मसौदे में संशोधन किए बगैर इसे विधानसभा में पारित कराने के लिए सरकार द्वारा जबर्दस्ती की गई तो यह स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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