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इलाज़ के बाद जंगल में छोड़ा गया घायल हथनी को

सिलीगुड़ी। भारत-नेपाल सीमांत कर्सियांग फारेस्ट के बावन पोखरी से घायल हथनी को शुक्रवार को गहन चिकित्सा के बाद जंगल में छोड़ दिया गया। इसके लिए चिकित्सकों के दल के साथ दो प्रशिक्षित हाथियों की मदद ली गयी। वन्य प्राणी विभाग एक के डीएफओ जी बी क्षेत्री ने बताया कि घायल हथनी को तीन दिन पूर्व ही जंगल क्षेत्र में देखा गया था। उसकी तलाश की जा रही थी। गुरुवार को उसे ताराबारी फारेस्ट में खड़ा पाया गया। हथनी को नीदं वाली सूई से दोपहर 12 बजे बेहोश किया गया। बेहोशी के हालत में दो चिकित्सकों का दल करीब ढाई घंटे तक उसका इलाज किया।
बेहोशी टूटने के बाद उसे दो प्रशिक्षित हाथियों के द्वारा जंगल में छोड़ा गया। घायल हथनी पर वन विभाग लगातार नजर रखेगा। हथनी का इलाज कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि हथनी के पिछला दोनों पांव घायल है। घाव देखने से स्पष्ट है कि उसे गोली मारी गयी है। चिकित्सा के दौरान घाव से गोली नहीं मिले है। वह पूरी तरह स्वस्थ्य है। जंगल में उसपर लगातार निगरानी जारी रहेगी। जरुरत पड़ी तो उसका फिर से जांच किया जाएगा। बताया जाता है कि भारतीय हाथी जब नेपाल सीमा क्षेत्र में प्रवेश करते है तो उसे नेपाल में गोली मारी जाती है। इस बात को पिछले दिनों वन मंत्री से शिकायत किया गया था। मामला अंतरराष्ट्रीय होने के कारण इसकी जानकारी भारत सरकार को दी गयी है।

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