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महंगाई से लड़ रहा है इस बार का त्यौहार

सिलीगुड़ी . छठ में बलने वाला वह गीत कितना सटीक हो गया है आज की महंगाई में। बहन अपने भाई से कहती है कि छठ का प्रसाद लेता आए। भाई कहता है- बहन, इतनी महंगाई में छोड़ दो यह व्रत। लेकिन, छठ तो छठ है। यह व्रत कैसे छूटे। बहन यही कहती है। हां! व्रत तो होगा ही, लेकिन महंगाई ने हालत पतली जरूर कर दी है। श्रद्धा-आस्था के इस महापर्व में आस-पड़ोस के लोग ही नहीं, राही-बटोहियों को भी खिलाने की परंपरा रही है। खीर, पूड़ी, ठेकुआ-पुआ और भी बहुत कुछ। इसे लेकर घर-घर में गजब का उत्साह रहता है। सूर्योपासना का जितना उत्साह, उतना ही लजीज पकवानों को खाने का भी। पर, आसमान छूती महंगाई के आगे.. फिर भी आस्था इस महंगाई से लड़ रही है।

साल दो साल तो बड़ी चीज है, इधर चंद महीनों में ही हर तरह के पकवान सामग्री की कीमतों में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है। इसी वजह से अब हर मध्यमवर्गीय परिवार में किफायत ही कैफियत सी बन गयी है। पूजा गुप्ता, पूनम मिश्रा व ऐसी ही कई गृहणियों ने कहा कि इस बार लगता है कि महंगाई पकवानों की मिठास को फीकी कर देगी। फिर भी.., चाहे जैसे भी हो पकवान तो बनेंगे ही। हां.., लेकिन खूब नहीं बनेंगे। व्यवसायी भी कम चिंतित नहीं। एक किराना दुकानदार केबल साहा ने बताया कि पहले छठ या किसी भी उत्सव में उनकी चांदी ही चांदी होती थी। लोग दिल खोलकर खरीदारी करते थे। अब तो वे कुछ भी खरीदने से पहले सौ बार सोचते हैं। एक बुजुर्ग महिला ने कहा कि इस बार छठ पूजा पर यही प्रार्थना होगी कि - 'हे छठी मईया अउर हे सुरूज देवता ई महंगाई के जल्दी सिना मार दीहीं।'

सिलीगुड़ी में निम्न पकवान सामग्रियों के मूल्य रुपये प्रति किलो

नारियल - 120

छुहारा- 100

काजू- 450-550

किशमिश- 180-200

मैदा- 18-20

सूजी- 20-22

आटा- 15-16

सरसों तेल- 80

रिफाइंड ऑयल- 75-80

डालडा- 75

चीनी- 32-34

चना दाल- 55

(साभार - जागरण )

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