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उत्तराखंड राज्य में बनेगी नई स्वास्थ्य नीति

देहरादून. सूबेकी नई स्वास्थ्य नीति बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने कवायद तेज कर दी है। इस संबंध में तैयार किए गए प्रस्ताव पर विभाग की गवर्निग बाडी की अप्रूवल मिल गई है। अब इसे संबंधित विभागों को भेज उनसे भी सुझाव मांगे गए हैं। आगामी नवंबर में इसे शासन और फिर कैबिनेट में लाया जाएगा। नई नीति को आचार संहिता लगने से पहले अमल में लाने की उम्मीद है। राज्य गठन के दो साल बाद वर्ष 2002 में सूबे के लिए पहली बार स्वास्थ्य नीति बनाई गई, लेकिन बढ़ी आबादी के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की लगातार बढ़ती मांग देखते हुए अब इसमें तब्दीली की जरूरत है। दरअसल राज्य सरकार को वर्ष 2005 से सूबे में एनआरएचएम के प्रभावी होने के बाद नया टारगेट तय करना पड़ा है।

मौजूदा हालात में इसे पूरा नहीं किया जा सका है। जाहिर है बगैर नई नीति के इसे हासिल करना मुमकिन भी नहीं है। नई नीति में सूबे में मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करना पहली प्राथमिकता है। वर्तमान में शिशु मृत्यु दर 41 प्रति हजार है नई नीति के प्रस्ताव में इसे वर्ष 2012 तक तीस प्रति हजार व मातृ मृत्यु दरको 188 प्रति लाख से 100 प्रति लाख करने का लक्ष्य तय किया है।ब्लांइडनेस व एड्स कंट्रोल समेत संबंधित सभी मामलों में इसी प्रकार टारगेट तय किए जाने हैं। पिछले दिनों विभाग की गवर्निग बाडी की बैठक में नई नीति के प्रस्तावों को अप्रूवल मिल गई। इस बारे में तैयार ड्राफ्ट को अब संबंधित विभागों के पास भेजा जा रहा है ताकि उनके पास कोई सुझाव हो तो दे सकें। अपर सचिव स्वास्थ्य पीयूष सिंह के मुताबिक नवंबर में इसे शासन कोभेजा जाएगा, शासन से कैबिनेट में लाया जाएगा। कोशिश है कि नवंबर के अंत तक इसे लागू कर दिया जाए।

(साभार - जागरण )



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