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तिब्बती आजादी के लिए पदयात्रा करता हिन्दीभाषी युवक

सिलीगुड़ी। वर्ष 1959 में तिब्बत में हुए विद्रोह के बाद से काफी संख्या में भारत में शरण लिए तिब्बतियों के दर्द को दूर करने के उद्देश्य से हिन्दीभाषी युवक विश्वपुरूष तुलसी (26) ने पदयात्रा शुरु की है। इन्होंने 12 नवंबर को बोधगया से अपना मिशन शुरू किया। मिशन शुरू करने के दौरान बोधगया में धर्मगुरु तेनजिंग लामा ने इन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया। इनका उद्देश्य चीन में लोकतंत्र की बहाली तथा तिब्बतियों को आजादी प्रदान कराना है। विश्व पुरूष का कहना है कि चार नवंबर को दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के समक्ष तिब्बती युवक द्वारा किए गए आत्मदाह से इनका मन व्यथित हो उठा। इसके अलावा इनके चचेरे दादा (बौद्ध भिक्षु जगदीश कश्यप) ने भारत-चीन युद्ध के दौरान हुई मध्यस्थता में भाग लिया था। जिनका निधन वर्ष 1976 में हो गया।

जिनकी
प्रबल इच्छा थी कि तिब्बत कीं आजादी। जिसे पूर्ण करने के उद्देश्य से विश्व पुरुष तुलसी ने 11 नवंबर से पदयात्रा शुरु की। यह पटना, मुजफ्फरपुर , सुपौल, किशनगंज होते हुए सिलीगुड़ी पहुंचे। आगे यह 31 नवंबर को कूचबिहार रवाना होंगे। वहां से बोंगाईगांव , गुवाहाटी होते हुए बोमडिला तवांग मठ (अरूणाचल प्रदेश) में यात्रा का समापन करने की योजना है।
इसके बाद विश्व पुरुष द्वारा गठित संगठन तिब्बत लिबरेशन फ्रंट से लोगों को जोड़ना है। जापान, दक्षिण कोरिया , आस्ट्रेलिया , अमेरिका लोकतांत्रिक देशों में तिब्बतियों की मांग को इंटरनेट के माध्यम व वहां जाकर तिब्बत में हो रहे मानवाधिकार के हनन के प्रति जागरूक करेंगे। विश्व पुरुष पेशे से दिल्ली में अधिवक्ता हैं। अपने उद्देश्य से दलाईलामा, भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूएनओ (यूनाइटेड नेशंस आर्गनाइजेशन) अमेरिका को भी पत्राचार के माध्यम से अपने उद्देश्य से अवगत करा दिया है। पदयात्रा में दरभंगा के डीएम रमेश कुमार रटेरिया ने प्रोत्साहित भी किया। यह हर दिन 40 किमी की पदयात्रा करते हैं। जिसमें पूर्ण जनसहयोग भी प्राप्त हुआ।

विश्व
पुरुष का कहना है कि वह यात्रा पूरी करने के बाद संगठन के माध्यम से देश व विदेश में लोगों को जागरूक करेंगे तथा मेरी तवांग यात्रा पुस्तक प्रकाशित करके तिब्बतियों के दर्द से लोगों को अवगत कराएंगे। विश्व पुरुष ने बताया कि उन्हें अपने उद्देश्य की पूर्ति में परिवार का तथा जनता का पूर्ण सहयोग अभी तक प्राप्त हुआ। वह असम में पदयात्रा के दौरान सुरक्षा के प्रति सशंकित हैं। इनका कहना है कि भारत सरकार चीन सीमा की सुरक्षा पर जिनता धन व्यय कर रही है अगर वही धन शिक्षा, स्वास्थ्य सहित ऐसे मद में खर्च की जाए कि जिससे देश की जनता का भला हो सके।
इनका कहना है कि जिस तरह से रूस का पतन होने के बाद पूर्वी जर्मनी व पश्चिमी जर्मनी का एकीकरण हो गया उसी तरह चीन के पतन से उत्तर कोरिया व दक्षिण कोरिया का विलय हो जाएगा।

विश्व पुरुष बिहार प्रांत के गया जनपद के खेझर सराय के निवासी हैं। इनके पिता ने लामा बनने की ख्वाहिश में वर्ष 1979 में दलाईलामा को पत्र व्यवहार किया था। जवाब में दलाईलामा ने कहा था कि एकल दीक्षा नहीं दी जाती, समूह में प्रदान की जाती है। विश्व का कहना है कि उनकी इच्छा गैर राजनीतिक संगठन तिब्बत लिबरेशन फ्रंट के माध्यम से अपनी आवाज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने की है। इस दिशा में वह प्रयासरत भी हैं।
वह इस कार्य में किसी भी राजनीतिक दल का सहयोग नहीं ले रहे। इनका कहना है कि तिब्बती समाज के लोग उन्हें पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इनका कहना है कि उन्हें यह कदम तिब्बत में आजादी के लिए उठाया है। ये तथागत अवतार के बड़े भाई हैं।
(साभार -जागरण)

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