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नेपाल में मरने वालों की संख्या 4352 पार, आवश्यक चीजों की किल्लत से संकट

काठमांडो/नई दिल्ली : नेपाल के भयावह भूकंप के बाद अब यहां भोजन, पानी, बिजली एवं दवाओं की भारी किल्लत से संकट और गहरा गया है तथा मरने वालों की संख्या भी 4,352 को पार कर गई है। नेपाल में सोमवार रात को एक बार फिर ताजा झटके महसूस किये गये जिससे लोगों में दहशत फैल गयी। हालांकि तत्काल इन झटकों की तीव्रता का पता नहीं चल पाया है। आज जैसे ही झटके महसूस किये गये, लोग अपनी इमारतों से खुले में निकल आये। पहले से ही खुले इलाकों में सो रहे अधिकतर लोगों में भी दहशत फैल गयी। उधर बिहार के कई इलाकों सहित सिक्किम, पश्चिम बंगाल और असम में भी सोमवार शाम एक बार फिर भूकंप के ताजा झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई है। शनिवार और रविवार के बाद यह भूकंप का यह तीसरा बड़ा झटका माना जा रहा है। पहले से ही दशहत के माहौल में रह रहे लोगों के लिए आज का भूकंप का झटका और डराने वाला है। बिहार के पूर्णिया, सहरसा, मधुबनी, अररिया, छपरा और पटना में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेपाल राहत अभियान पर मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश सचिव एश जयशंकर ने कहा कि नेपाल में राहत कार्य में तेजी लाई गई है। एनडीआरएफ की तीन टीमें आज काठमांडू भेजी गईं। इसके अलावा पांच एयरक्राफ्ट, खाने के पैकेट और पानी के बोतल भेजे गए हैं। जयशंकर ने कहा कि 4 और विमान नेपाल रवाना किए जाएंगे। भूकंप पीड़ितों के लिए पीएम मोदी ने एक महीने का वेतन दिया।

दहशत का आलम यह है कि हजारों लोग खुले में रहने को मजबूर हैं जबकि विदेशी नागरिक अपने देश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जिससे यहां के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई है। नेपाल में यह बीते 80 वर्षों की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। संकट से घिरी यहां की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मदद का आग्रह किया है। तेलुगू फिल्मों के जानेमाने नृत्य निर्देशक विजय (21) भी इस भूकंप में मारे गए। भूकंप के बाद आए झटकों और बारिश के कारण एक सड़क हादसे में आज सुबह उनकी मौत हो गई। वह अपनी फिल्म यूनिट के साथ काठमांडो जा रहे थे। असम की सात महिलाओं के भी इस भयावह भूकंप में मारे जाने की आशंका है। बीते शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप के 48 घंटे से भी अधिक समय के बाद लोग सहमे हुए हैं। करीब 7,000 लोग घायल हुए हैं और हजारों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। नेपाल के शीर्ष नौकरशाह लीला मणि पौडेल ने कहा, हम दूसरे देशों से आग्रह करते हैं कि वे हमें विशेष राहत सामाग्री और चिकित्सा दल भेजें। हमें इस संकट से निपटने के लिए अधिक विदेशी विशेषज्ञता की जरूरत है। इस अधिकारी ने कहा, हमें टेंट, कंबल, गद्दे और 800 अलग-अलग दवाओं की फिलहाल सख्त जरूरत है। अधिकारियों का कहना है कि भूकंप में मरने वालों की संख्या 4,000 को पार कर गई है। सिर्फ काठमांडो घाटी में 1,053 लोग और सिंधुपाल चौक में 875 लोगों के मारे जाने की खबर है। अधिकारियों ने कहा कि काठमांडो और भूकंप प्रभावित कुछ दूसरे इलाकों में मलबों में अभी भी बहुत सारे लोग दबे हुए हैं। ऐसे में यह आशंका है कि मृतकों की संख्या 5,000 के पार जा सकती है।

नेपाल में कई देशों के बचाव दल खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों की मदद से जीवित लोगों का पता लगाने के काम में लगे हुए हैं। भूकंप के बाद अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं। यहां बचाव एवं राहत कार्य में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 700 से अधिक आपदा राहत विशेषज्ञों को यहां तैनात किया है। उसने बचाव और पुनर्वास के एक बड़े प्रयास के तहत 13 सैन्य विमान तैनात किए हैं, जो अस्थाई अस्पताल सुविधा, दवाएं, कंबल और 50 टन पानी एवं अन्य सामग्री लेकर गए हैं। अधिकारियों और सहायता एजेंसियों ने सचेत किया है कि पश्चिमी नेपाल के दूर-दराज वाले पहाड़ी इलाकों में बचाव दलों के पहुंचने के बाद हताहतों की संख्या में और इजाफा दिख सकता है । भूकंप आने के बाद आए ताजा झटकों, सड़कों के अवरूद्ध होने, बिजली गुल होने और अस्पतालों में भारी भीड़ के कारण जीवितों का पता लगाने के काम में बाधा आ रही है। भूकंप के बाद यहां फंसे दूसरे देशों के लोग बाहर निकलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और नतीजा यह है कि यहां के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का आलम है। भारत और दूसरे देश अपने अपने नागरिकों को जल्द वापस ले जाने की कोशिश में हैं।

अब तक भारत के 2,500 लोगों को बाहर निकाला गया है तथा बड़ी संख्या में लोग त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जमा हैं ताकि वे व्यावसायिक और विशेष रक्षा विमानों से स्वदेश लौट सकें। भारी भीड़ को देखते हुए महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और घायल हुए लोगों को प्राथमिका दी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि नेपाल में पानी और खाने की किल्लत हो गयी है और करीब दस लाख कमजोर और कुपोषित बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है। उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल और भारत के कुछ क्षेत्रों में आए विनाशकारी भूकंप से उत्पन्न स्थिति से निपटने में राज्यों के सहयोग और एनडीआरएफ, मीडिया तथा अन्य एजेंसियों की सराहना की। ट्वीट के जरिए उन्होंने कहा कि उन सभी लोगों की भावना की सराहना करता हूं जो कह रहे हैं ‘थैंक यू पीएम’...वास्तविक थैंक यू के हकदार हमारी महान संस्कृति है जो हमें ‘सेवा परमो धर्म’ की सीख देती है। इस भूकंप से नेपाल के 66 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। भूकंप से जहां एक ओर नेपाल तबाह हो गया, वहीं भारत में अब तक 62 लोगों की मौत हो गई और 259 घायल हो गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय गृह सचिव एलसी. गोयल ने जानकारी दी। नेपाल से अब तक करीब 2000 भारतीय नागरिक सुरक्षित वतन लौटे हैं। भारत ने 1000 राहतकर्मियों के दल को नेपाल भेजा है। वायुसेना के दो ध्रुव हेलीकाप्‍टर भी ऑपरेशन मैत्री अभियान में जुटे हैं। उत्‍तर प्रदेश और बिहार में सोमवार और मंगलवार को स्‍कूल बंद कर दिए गए हैं। 

नेपाल में रविवार को बारिश और ताजा झटकों के कारण मकानों और इमारतों के मलबे के ढेर के नीचे दबे जीवित लोगों को निकालने के प्रयास भी बाधित हुए। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन खंड के प्रमुख रामेश्वर डांगल ने कहा कि मृतकों की संख्या 3700 से अधिक पहुंच चुकी है और 6800 से ज्यादा लोग घायल हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय दूतावास के एक कर्मचारी की बेटी समेत पांच भारतीय इस भूकंप में मारे गए लोगों में शामिल हैं। बिजली न होने की वजह से काठमांडो शहर कोई भूतिया शहर मालूम होता है। वहां भारी बारिश हो रही है। इस स्थिति के चलते हवाईअड्डे को बंद करना पड़ा और अफरातफरी के इस माहौल के बीच अपने घर जाने के लिए बेताब विदेशी पर्यटक यहां फंसे हैं। हजारों लोगों को बारिश से बचने के लिए शहर की सड़कों पर लगाए गए प्लास्टिक से बने अस्थायी तंबुओं में रात गुजारनी पड़ी। नेपाली टाइम्‍स के संपादक कुंदा दीक्षित ने ट्वीट किया कि अभी भी बारिश हो रही है, जो कि स्थिति को और खराब बनाती है। इसमें तसल्ली सिर्फ इतनी है कि इससे कुछ शरणस्थलियों पर पानी का संकट कम हो सकेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल को तत्काल ही तंबुओं और दवाओं की जरूरत है।

भूकंप के मुख्य झटकों के बाद शनिवार को आए शक्तिशाली झटकों के कारण पीड़ित लोगों के बीच दहशत मच गई थी और माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हो गया था। इस कारण 22 लोगों की मौत हो गई थी। शनिवार के भूकंप के मुख्य झटकों के बाद भी झटकों का सिलसिला जारी रहा और कल 6.7 तीव्रता और उसके बाद फिर 6.5 तीव्रता के झटके महसूस किए गए। इसके कारण खौफजदा लोग निकलकर खुले स्थानों पर आ गए थे। शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप के कारण भारी तबाही हुई है। ताजा भूकंप के झटकों के डर के कारण लोग ठंड से भरी रात में खुले इलाके में रह रहे हैं। बचे हुए लोगों की जांच जारी होने के कारण अधिकारियों को इस संख्या के बढ़ने की आशंका है। मृतकों के अंतिम संस्कार सामूहिक रूप से किए गए और मृतकों की संख्या में दिनभर वृद्धि होती रही। बीते 80 से भी ज्यादा वर्षों में देश के इतिहास में आए अब तक के सबसे भीषण भूकंप को देखते हुए नेपाल ने आपातस्थिति की घोषणा कर दी है और भारतीय बचाव दलों समेत अंतरराष्ट्रीय बचाव दल नेपाल पहुंच चुके हैं। भारत ने बचाव और पुनर्वास के एक बड़े प्रयास के तहत 13 सैन्य विमान तैनात किए हैं, जिनमें अस्पताल सुविधाएं, दवाएं, कंबल और 50 टन पानी एवं अन्य सामग्री है।

भारत ने राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 700 से ज्यादा आपदा राहत विशेषज्ञों को तैनात किया है। एक वरिष्ठ स्तरीय अंतरमंत्रालयी दल नेपाल का दौरा करके यह आकलन करेगा कि भारत किस तरह राहत अभियानों में बेहतर सहयोग कर सकता है। बचावकर्मी मलबे के ढेर में फंसे जीवित लोगों की खोज हाथों से भी कर रहे हैं और भारी उपकरणों से भी। ताजा झटकों, तूफानों और पर्वतीय श्रृंखलाओं पर हिमपात के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहे हैं। स्थानीय लोग और पर्यटक जीवित बचे लोगों को निकालने के लिए मलबे में खोज में जुटे रहे। जब लोग जीवित पाए जाते तो वहां मौजूद लोगों में हर्ष की लहर दौड़ जाती। हालांकि अधिकतर शव ही बाहर निकाले गए। नेपाल के कई अन्य इलाकों की तरह काठमांडो इस आपदा के कारण हुई तबाही से निपटने की एक भारी चुनौती का सामना कर रहा है। राजधानी में पूरी-पूरी सड़कों और चौराहों पर मलबा पड़ा है। इस शहर की जनसंख्या लगभग तीस लाख है।

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