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नेपाल जाने पर लगी रोक, नेपाली पीएम की वॉर्निंग- हमारे मामलों से दूर रहे भारत


काठमांडू, रक्सौल/नई दिल्ली : मधेसी आंदोलन को लेकर भारत और नेपाल के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। भारत ने अपने नागिरकों के नेपाल जाने पर रोक लगा दी है। इससे पहले नेपाल के पीएम केपी. शर्मा ओली ने भारत को अपने देश के अंदरुनी मामलों में दखल नहीं देने की चेतावनी दी थी। उनके मंत्री सत्यनारायण मंडल ने भी कहा था कि भारतीय सेना के जवानों को सादे कपड़ों में नेपाल भेजने की योजना है। इन आरोपों पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय दूतावास ने कहा कि यह टिप्पणी भड़काने वाली है।

क्यों बढ़ा तनाव
दोनों देशों में उस वक्त तनाव बढ़ गया था, जब बीरगंज में सीमा पर नेपाल पुलिस की फायरिंग में दरभंगा के युवक की मौत हो गई थी। पीएम मोदी ने ओली को फोन लगाकर घटना की जांच की मांग की थी। इसके कुछ ही घंटों बाद ओली ने कहा, आखिर भारत मधेस के चार दलों के पीछे क्यों है? अपने नाराज लोगों की समस्याओं को समझना-सुलझाना तो नेपाल की जिम्मेदारी है।

मधेसी आंदोलन : बीरगंज में कर्फ्यू के बीच हिंसा
नेपाल में नए संविधान को लेकर हिंसक विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है। बीरगंज में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने हवा में गोलियां चलाई। तनातनी भरे माहौल पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू मंगलवार को भी जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पेट्रोल बम फेंका। इससे एक मोटरसाइकिल सवार घायल हो गया। भारत की तरफ से बंद की गई नेपालगंज-रूपईदिया सीमा जांच चौकी सुबह खोल दी गई। जांच चौकी खोलने के बाद से अब तक सामान से लदे 25 नेपाली और भारतीय ट्रक नेपाल पहुंच चुके हैं। नेपाल से 50 से ज्यादा ट्रक भारत आए हैं।

मोदी ने मांगी थी पूरी जानकारी
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार देर रात नेपाल के पीएम ओली से फोन पर बात की और फायरिंग में दरभंगा के युवक के मारे जाने पर हैरत जताई और घटना की निंदा की। साथ ही इस मामले की पूरी जानकारी मांगी थी।

मधेसियों का बातचीत से इनकार
भारतीय की मौत के बाद मधेसी दलों ने कहा कि वे सरकार के साथ बातचीत नहीं करेंगे। क्योंकि नए हालात में बातचीत का कोई नतीजा निकलने वाला नहीं है।

नागरिकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता
भारत ने भी अब ऑफिशियली भारत के किसी भी नागरिक के नेपाल जाने पर रोक लगा दी है। नेपाल में मधेसी आंदोलन भड़कने के बाद इंटरनेशनल रिलेशन पर असर डालने वाला यह भारत की ओर से किया गया पहला फैसला है। भारतीय महावाणिज्य दूतावास के कंसल्टेंट जनरल अंजू रंजन ने बताया कि हमने अपने नागरिकों को मधेसी आंदोलनकारियों और नेपाल पुलिस की कार्रवाई से बचाने के ख्याल से यह फैसला किया है। उन्होंने कहा कि नेपाल के इंटरनल अफेयर्स से हमें कोई लेना-देना नहीं, लेकिन हम अपने नागरिकों की सिक्युरिटी को लेकर रिस्क नहीं ले सकते। उन्होंने कहा कि नेपाल के अफसरों को गोलीकांड की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करना चाहिए। नेपाल सरकार से मारे गए आदमी के परिजनों को हर्जाना दिलाने की भी पहल की जा रही है। भारत सरकार भी नियमों के मुताबिक मारे गए आदमी के परिजनों को हर्जाना देगी।

- भास्कर

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