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आज भी दो दिन पहाड़ चढ़कर अपने गांव में पहुंचते हैं गोरखा गौरव ‘पिस्टल किंग’ जीतू राई


दीपक राई
मध्यप्रदेश के महू में पदस्थ खेल रत्न गोरखा शूटर जीतू राई को कौन नहीं जानता। निशानेबाजी विश्वकप के मिश्रित युगल टीम इवेंट में उन्होंने हिना सिद्धू के साथ मिलकर गोल्ड पर निशाना साधा है। और उसके बाद आज 10 मीटर एयर पिस्टल के पुरुष वर्ग में कांसे का पदक हासिल किया। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि भारतीय सेना में नायब सूबेदार जीतू जब कभी छुट्टियों में अपने गांव नेपाल जाते है तो उन्हें आज भी दो दिन पहाड़ पर करके अपने घर पहुंचना पड़ता है। भारत के लिए ढेरों अंतराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीतने वाले जीतू का पैतृक घर नेपाल के पूर्वी इलाके में है। आधुनिक नेपाल में भी आज यह हालात है कि पूर्वी नेपाल स्थित बेहद दुर्गम पहाड़ी वाले सुड्ंगवासभा जिले में परिवहन की कोई खास व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण जीतू को अपने गांव पहुंचने के लिए आज भी दो दिन लगातार मुश्किलों भरा पैदल सफर करना ही पड़ता है।
 
आर्मी अफसर बनने के लिए इंदौर से कर सकते है ग्रेजुएशन की पढ़ाई
भारतीय सेना में खेल कोटे से अधिक से अधिक जूनियर कमीशन आॅफिसर (जेसीओ) बनाने का नियम है। वहीं वर्तमान में जेसीओ जीतू को इंडियन आर्मी में अफसर बनाने के लिए कोशिशें चल रही है। ट्रेनिंग के लिए अधिकतर समय महू में रहने के कारण इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से खेल के साथ-साथ स्नातक की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। उनके स्नातक बनते ही भारतीय सेना में उन्हें कमीशन मिलने की मिल सकता हैं। जीतू कहते है कि उन्हें अब तक जितना भी सेना से मिला हैं, उसके वह शुक्रगुजार हैं। वह भारतीय सेना के मदद के बिना यहां पहुंचने की सोच भी नहीं सकते थे।

अब उठाया अपने गांव की सूरत बदलने की बीड़ा, बन गए हीरो
जीतू राई आज भी साल में कम से कम एक बार अपने गांव नियमित रूप से जाते रहते है। कम समय में खेलों के कारण अर्जित किए हुए धन के कारण अपने छोटे से गांव में अपनी दरियादिली से मसीहा के रूप में जाने जाते है। कभी बेहद तंगी के साथ जीवन बिताने वाले जीतू को आज भी अपने गांव को बहुत ज्यादा चाहते हैं। खुद ज्यादा न पढ़ पाने के कारण वह आज वह दसवीं तक के बच्चों को छात्रवृति से लेकर उनके लिए लैपटॉप तक बांट रहे हैं। वह अपने गांव के होनहार बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलाने के लिए विशेष रूप से नियमित आर्थिक सहायता दे रहे है। वर्तमान में उनके गांव के कई छात्र जीतू के ही आर्थिक मदद के चलते अपनी स्कूली पढ़ाई कर पा रहे है। बेहद शर्मिले जीतू इस बारे में ज्यादा बात करने से कतराते हैं। इसके अलावा जीतू ने गांव में मंदिर निर्माण का कार्य कर चुके है। 

गोरखा शूटर जीतू राई के पूर्वी नेपाल जाने के लिए पहाड़ों के संकरे मार्ग

शूटर जीतू राई के पूर्वी नेपाल जाने के लिए पहाड़ों के संकरे मार्ग

जीतू राई के पूर्वी नेपाल जाने के लिए पहाड़ों के संकरे मार्ग

गोरखा शूटर जीतू राई ने इसी हिमालय उच्च माध्यमिक स्कूल से अपनी पढ़ाई की है।

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