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परमवीर चक्र विजेता गोरखा हीरो स्वर्गीय धन सिंह थापा के नाम पर ईडन गार्डंस स्टेडियम में बना स्टैंड


वीर गोरखा न्यूज नेटवर्क
दीपक राई
कोलकाता :
भारतीय गोरखा समाज के हीरो परमवीर चक्र पदक विजेता स्वर्गीय लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा उन शहीदों में शुमार हो गए है, जिनके नाम से से कोलकाता के विश्व विख्यात ईडन गार्डंस मैदान में चार स्टैंडों के नाम रखे गए हैं। ये तरीका अपने फौजियों को सम्मान देने का है। इन स्टैंडों के ये नाम रखे गए। ये पहल बंगाल के क्रिकेट संघ की है। जिस वक़्त ये नामकरण वाला कार्यक्रम हुए वहां दादा के नाम से फेमस पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सौरव गांगुली भी थे। साथ में बंगाल क्रिकेट के अध्यक्ष थे और आर्मी की ओर से प्रवीण बख्शी भी थे।

गोरखा किवदंतियों के उदाहरण धन सिंह थापा
परमवीर चक्र पदक प्राप्त करने के समय मेजर रहे धनसिंह थापा गोरखा मूल के भारतीय फ़ौजी थे। उनको और उनके तीन साथियों चीन की सेना ने बंदी बना लिया था। साल 1962 में चीन से लड़ाई के टाइम सिरिजाप घाटी में गोरखा राइफल्स के अगुआ थे। चीन की सेना ने तीन बार हमले किए। तीन बार इधर से उनके जवाब को बेकार किया गया लेकिन 20 अक्टूबर 1962 को सुबह-सुबह चीन के सैनिकों ने चौकी पर हमला कर दिया, चौकी तबाह हुई और कई जवान शहीद हुए। थापा को वो लोग बंदी बना ले गए. लेकिन उनको वो चकमा देकर भाग निकले। बहुत दिनों पहाड़ों पर भटके फिर अंत में इंडियन बॉर्डर में आ गए। सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र उनको दिया गया था।

शिमला शहर के रहने वाले थे परमवीर चक्र विजेता थापा
इंडियन आर्मी से लेफ्टिनेंट कर्नल पद पर रिटायर होने वाले गोरखा समाज के बेहद सम्माननीय धन सिंह थापा जी मूलत: हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर के रहने वाले थे। साथ ही थापा दुनिया में किसी भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के स्टैंड पर नामकरण होने वाले प्रथम गोरखा शख्सियत भी बन गए है। भारत का गोरखा समाज सदैव अपनी बहादुरी के कारण देश की सुरक्षा के लिए सदैव कुर्बान होता है, उसी प्रकार मेजर धन सिंह थापा के नाम को यश देने के लिए बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का गोरखा समाज तहे दिल से शुक्रिया अदा करता है। अब हिमाचल प्रदेश सरकार भी बड़े सम्मान से कुछ सीख लेते हुए माटी के सपूत मेजर धन सिंह थापा को बेहतर सम्मान थे, जिसके वह वास्तविक हकदार है। थापा जिन्होंने अपने अदम्य सूर्य के कारण परमवीर चक्र प्राप्त किया। यहां यह बता देना भी महत्वपूर्ण है की परमवीर चक्र भारत रत्न पुरस्कार की समतुल्य समझी जाती है। उसी परमवीर चक्र विजेता को अब तक भारत के रक्षा मंत्रालय एवं उनके मातृभूमि हिमाचल प्रदेश की सरकार ने वह सम्मान नहीं दिया, जो थापा को उनके जीवित रहते मिल जाना चाहिए था। 



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