TMC नेता इंद्रनील सेन का गोरखा अस्मिता के ऊपर हमला, बोले बिमल गुरुंग को बक्सा में बंदकर पहाड़ से खदेड़ेंगे
दीपक राई
दार्जिलिंग : चुनावी सियासतों के बीच दार्जिलिंग के मोटर स्टैंड में आयोजित तृणमूल कांग्रेस की रैली में वरिष्ठ नेता एवं मंत्री इंद्रनील सेन ने गोरखा अस्मिता के ऊपर सीधा हमला करते हुए पहाड़ के गोरखा नेता एवं गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पार्टी के अध्यक्ष विमल गुरुंग समेत रोशन गिरी को नगर पालिका चुनाव के बाद पहाड़ से धक्के मार कर बाहर खदेड़ने की बात कही है। सेन की इस बेवकूफाना बयान के बाद देश के गोरखा समाज में गुस्से का माहौल बन रहा है। इस बयान की पहाड़ में भी अन्य पार्टियों के पदाधिकारी अब दबी जुबान में निंदा कर रहे है। हैरानी की बात है कि आखिर कैसे तृणमूल कांग्रेस गोरखा बहुल भूमि पर आकर गोरखा नेता विमल गुरुंग को पहाड़ से खदेड़ने की बात कर रहा है। सेन इतने में नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा बस चुनाव होने दीजिए, उसके बाद विमल गुरुंग और रोशन गिरी को एक बक्से के अंदर बंद करके पहाड़ से खदेड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इसके लिए साथ में बक्सा भी लेकर आए है। उन्होंने कहा कि गुरुंग और गिरी को 'चलते-चलते मेरे गीत याद रखना' गुनगुना पड़ जाएगा। नगर पालिका चुनाव में इस बार गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही तृणमूल कांग्रेस बेहद घिनौने प्रचार का सहारा ले रही है। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस पहाड़ में गोरखा समाज के बीच में फूट डालने का काम सिद्दत से करने में लग गयी है। इससे पहाड़ के गोरखा समाज को सचेत होने की जरूरत है। यदि गोरखा समाज आज एकजुट नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ से प्रत्येक गोरखा व्यक्ति को खदेड़ने की आवाज तृणमूल कांग्रेस कलकत्ता में बैठकर दहाड़ेगी।
बिमल गुरुंग के ऊपर इस तरह के विवादित बोल बोलने वाले इंद्रनील सेन के हौंसलों को बुरी तरह नेस्तनाबूत करने का समय आ चुका है। गोरखा समाज एकजुट हो तो इस तरह के इंद्रनील सेन पहाड़ पर कदम रखने के पहले हजार बार सोचेंगे आखिरकार इस तरह के अपशब्दों का इस्तेमाल कोई राजनीतिक दल किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी के मुखिया के ऊपर कैसे लगा सकता है यह चिंता का विषय है इस बार पहाड़ में कई राजनीतिक पार्टियों के अलावा निर्दलीय लोग भी अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस की इस घृणा पूर्व वक्तव्य से समूचा गोरखालैंड हतप्रभ है। आखिरकार बंगाल सरकार गोरखालैंड के क्षेत्र की जनता को कब तक गुलामों की तरह व्यवहार करती रहेगी ? इसका जवाब मिलना बेहद जरूरी है, अन्यथा तृणमूल कांग्रेस के नेता गोरखालैंड के दमन के लिए और अधिक सक्रिय होते दिखाई देंगे। जो पहाड़ में नफरत एवं हिंसा का माहौल बनाने के लिए एक जमीन तैयार कर देगा। आखिरकार बंगाल और गोरखालैंड के बीच का युद्ध अपने अब अंतिम चरण में आ चुकी है।
गोरखालैंड की जनता को यह समझने की जरूरत है किया हमला केवल गोरखा जनमुक्ति मोर्चा पार्टी के अध्यक्ष अथवा गोरखालैंड एडमिनिस्ट्रेशन के मुखिया पर नहीं वरन गोरखा नेतृत्व को चुनौती एवं उनके इरादों को तोड़ने की पुरजोर कोशिश है। इस कोशिश को पूरी तरह नेस्तानाबूद करने के लिए समूचे हिंदुस्तान की बिमल गुरुंग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी नजर आ रही है। पहाड़ की गोरखा जनता को एकत्रित होने की आवश्यकता है एवं इंद्रनील सेन जैसे लोगों की जुबान पर रोक लगाने के लिए इस चुनाव में उन्हें बुरी तरह पटखनी भी है। वहीं अब पृथक गोरखालैंड आंदोलन के लिए अग्रणी नेता विमल गुरुंग के ऊपर मंत्री इंद्रनील सेन के इस वक्तव्य का पहाड़ की जनता विरोध करना शुरू कर दिया है। पहाड़ की गोरखा अब जगह-जगह पोस्टर लगाकर अपना विरोध दर्ज कर रही है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने मंत्री सेन के बयान की भर्त्सना करते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है।
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