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गोरखा समूहों ने बंद वापस लिया



सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) ,गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने बंगाल में अलग गोरखालैंड राज्य के लिए लड़ रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल को कलिम्पोंग में शुक्रवार रात को पश्चिम बंगाल सरकार के आश्वासन के बाद कहा यदि हमारी मांगो पर ठोस पहल की जायेगी तो मोर्चा अपने विरोध को वापस लेने के बारे मे विचार करेगी।
राज्य के गृह सचिव अर्धेन्दु सेन से एक पत्र मिलने के बाद मोर्चा नेताओ ने मीडिया को बताया की वे अब की बार सरकार की ओर से सकारात्मक पहल से काफ़ी आश्वस्त है इसलिए हड़ताल को वे वापस लेने का फैसला करने पर गोरखा दलों से मिलकर विचार करेंगे। पार्टी के वरिष्ट नेताओ ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ गुरुवार को एक बैठक आयोजित की थी.
जनमुक्ति मोर्चा के प्रेस और प्रचार सचिव श्री बेनोय तमांग ने बताया कि"मुख्यमंत्री ने हमारी सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया है। सरकार ने दूअर्स में ३ तथा जलपाईगुड़ी जिले मे बंद 12 चाय बागानों दो से तीन महीने के भीतर और बाकी एक वर्ष के भीतर खोला जाएगा"। यदि इसपर पहल होती है तो हम अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल वापस लेने का फैसला करेंगे।

इससे पहले मोर्चा महासचिव रोशन गिरि और तमांग ने - जो कि मुख्यमंत्री से मिला प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे अध्यक्ष बिमल गुरुंग को कोलकाता में गुरुवार को हुयी चर्चा से अवगत कराया।

मोर्चा की माँग का जवाब देते हुए सरकार ने जल्द ही उन हिंसा प्रभावितों की जिनकी संपत्ति हाल ही मे हुए गोरखालैंड विरोधी अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के द्वारा दूअर्स मे की गई हिंसा में क्षतिग्रस्त हो गए संपत्ति के मुआवजे के लिए एक पैकेज की घोषणा की । सरकार ने भी मोर्चा कार्यकर्ताओं को जिन्हें हिंसा के छुटपुट मामलों की समीक्षा के दौरान गिरफ्तार किया गया था उनमे कुछ को रिहा करने के आदेश सरकार द्वारा जारी कर दी गई है। मुख्य सचिव श्री सेन ने कहा की क्षेत्र मे शान्ति रखने के लिए प्रशासन पुरी तरह मुस्तैद है तथा आगे भी मोर्चा के कार्यकर्ताओ को रिहा किया जाएगा परन्तु सेन ने अब भी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दूअर्स मे बैठके आयोजित करने की मांग को मंजूरी नही दी ,उनका कहना है की सरकार अब यह मानती है की शान्ति व्यवस्था को कायम रखने के लिए दूअर्स मे बैठके आयोजित करना अनुकूल नही है

गौरतलब रहे की हैकि इस क्षेत्र में प्रस्तावित गोरखालैंड में शामिल होने को लेकर मोर्चा व विकास समिति के मध्य हुए झडपों मे २ लोगो की मौते हुयी व २० से अधिक लोग घायल हुए थे ।

बिमल गुरुंग के नेतृत्व में पहाड़ी पर्वतीय परिषद संचालन करने के लिए विशेष स्थिति का विरोध करने के अलावा एक अलग गोरखालैंड राज्य के लिए पहाड़ियों में एक आंदोलन का नेतृत्व किया गया है.

2005 में केंद्र सरकार के शासी निकाय के लिए अधिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट पर छठी अनुसूची का दर्जा-गोरखा पर्वतीय परिषद दार्जिलिंग नेतृत्व प्रदान किया.

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