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गोर्खालैंड न्याय और अधिकार की मांग : जसवंत




सिलीगुड़ी (दार्जिलिंग): गोर्खालैंड न्याय और अधिकार की मांग है। यह बंगाल का विभाजन नहीं, बल्कि एकजुटता का परिचायक है। भाजपा छोटे राज्य की पक्षधर है, क्योंकि छोटे राज्य से उसका संभव है और इसी विकास की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए गोर्खालैंड का भी निर्माण किया जायेगा। उक्त बातें शुक्रवार को पानीघाटा बाजार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए दार्जिलिंग लोकसभा सीट के प्रत्याशी जसंवत सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग जिला की सीमा चार अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा है, इसलिए इस क्षेत्र को विकासित करने की जरुरत है। वैसे मेरी जन्मभूमि राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके की है, लेकिन मेरी कर्मभूमि दार्जिलिंग है। यहां मिल रहे प्यार और सत्कार से खुश श्री सिंह ने कहा कि पहाड़ के लोगों ने मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए गोर्खालैंड की आवाज को दार्जिलिंग तक ही सीमित नहीं रखना है, बल्कि इसकी गूंज कोलकाता और दिल्ली में भी सुनाई देगी। श्री सिंह ने कहा कि इस बहुरंगी सभा में केपीपी, राजवंशी, गोर्खा, राजस्थानी, आदिवासी और बिहारी की उपस्थिति ने मेरे अंदर एक नयी शक्ति को जन्म दिया है और मैं भी फौज का सिपाही हूं। इसलिए गोर्खाओं द्वारा देश की रक्षा के लिए दिये गये बलिदान से भलीभांति परिचित हूं। आज जब गोर्खा अपने विकास के लिए गोर्खालैंड राज्य की मांग कर रहे हैं, तो उसे बंग भंग की संज्ञा दी जा रही है, यह कहां का न्यायोचित है? उन्होंने एनडीए सरकार की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा अपने शासन में छत्ताीसगढ़, उत्तारखंड, झारखंड राज्य का गठन कर भारत को और मजबूत बनाया है, तो फिर गोर्खालैंड क्यों नहीं बन सकता है। मैं यहां झूठा दिलासा नहीं देने आया हूं। लालकृष्ण आडवानी और गोजमुमो ने दार्जिलिंग लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी बनाया है। मैं गोर्खालैंड के लिए कमिटेड हूं। मेरे जीवन की सबसे अच्छी घड़ी आ चुकी है और जिंदगी के बचे पल गोर्खालैंड के गठन में व्यतीत करना चाहता हूं। गोर्खालैंड की मांग सौ साल पुरानी है। राजनीतिक जीवन में ऐसा प्यार, स्नेह और सत्कार नहीं मिला, जो हमें यहां मिल रहा है। वहीं रोशन गिरि ने कहा कि पहाड़ के विकास के लिए बीते 30 साल में माकपा ने कुछ नहीं किया है। 21 वर्षो तक जीएनएलएफ ने यहां की आवाम का शोषण के शिवा कुछ नहीं किया। घीसिंग का वोट बहिष्कार का भाजपा पर असर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि सुभाष घीसिंग ने छठी अनुसूची बिल पारित कर जातीय फूट डालने की साजिश रच रही थी। भाजपा ने ही पहाड़वासियों की असुविधा का ध्यान रखा है, जिससे उसने अलग राज्य का समर्थन करते हुए घोषणा पत्र में इसे शामिल किया है। भाजपा ने ही छठी अनुसूची बिल को रुकवाकर पहाड़वासियों के लिए एक वरदान साबित हुआ है। यदि छठी अनुसूची बिल पास हो जाती, तो गोर्खालैंड राज्य बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकता। इस बिल से गोर्खा जाति को बांटने का भी कुप्रयास किया गया था। देश की रक्षा में गोर्खा अगली पंक्ति में है। गोर्खाओं को अपने घर में ही विदेशी कहे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेराजगारी, स्वास्थ्य सेवा और पानी की सुविधा से पहाड़ की आवाम महरूम है। दार्जिलिंग का विकास सिर्फ अलग राज्य के गठन से ही संभव है। दासत्व को जड़ से मिटाने के लिए हथियार उठाने की जरुरत नहीं, बल्कि आसन्न लोकसभा चुनाव में भापजा प्रत्याशी जसवंत सिंह को दो लाख मत से जीता कर माकपा को जवाब देना है। पहाड़ में कांग्रेस की हाथ को उखाड़ फेंककर कमल को खिलाना है। इस अवसर पर आशा गुरुंग ने महाभारत की लड़ाई में पांडव का साथ भगवान श्री कृष्ण ने सारथी बन कर आये थे और अब गोर्खालैंड राज्य के गठन के लिए जसवंत सिंह कृष्ण रूप में आये हैं। इस अवसर पर एलबी राई, बी के प्रधान चंफा विभा ने जनसभा को संबोधित किये।

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