इतने सारे हार के बाद अब आगे क्या ?

दीपक राई
तीसरे वनडे मुकाबले में भी अंग्रेजों से मात खाने के बाद अब भारतीय टीम बहुत बड़ी दुविधा में फंसती नज़र आ रही है । आखिर अब आगे के मुकाबले किस भावना के साथ खेले ? अब यह प्रश्न बहुत बड़ा हो गया है क्यूंकि टेस्ट श्रृंखला में वाईटवाश , एकमात्र टी20 में और अब तीसरे वनडे में भी दो शून्य से पिछड़ कर अब एक तरह से इस एकदिवसीय सीरिज़ का भी नतीज़ा भारत के झोली में आने से रहा । उफ़ एक तरफ कहाँ विलायती ज़मीन पर जब हमारे धुरंधर उड़ान भर रहे थे तो करोड़ो क्रिकेट प्रशंसक मन ही मन अंग्रेजो का अचार बनाने के ख्वाब में खोये हुए थे लेकिन हुआ सब इसके उलट । वहां जाकर खुद भारतीय टीम अंग्रेजों के हाथों विलायती मुरब्बा बनते हुए दिखाई दे रहे है अब बाकी बचे दो मैचो में यही ये कागजी शेर दहाड़ मारने भी लगे तो अब कुछ होने वाला नहीं है । बात अब करते है मुद्दे की हां जनाब अब वक्त आ गया है कि विदेशी ज़मीन पर बुरी तरह से पिटने के बाद भारतीय क्रिकेट को खासकर टेस्ट क्रिकेट के लिए एक अलग योजना पर काम करने की तैयारी करनी चाहिए क्यूंकि जिस तरह भारत टेस्ट में हारा है वैसे हार भारतीय क्रिकेट ने कई दशको बाद देखी है । माना धोनी फटाफट क्रिकेट में बड़े फटाफट तरीके से लोकप्रियता के सबसे ऊँचे मुकाम पर जा पहुंचे और एक के बाद एक झंडे गाड़ते चले आ गए । टेस्ट क्रिकेट में यही फटाफट वादिता तो नहीं चलता, नहीं तो अब तक भारत इस विधा में अच्छी खासी बेंच स्ट्रेंग्थ खडी कर ली होती । अब भारतीय क्रिकेट को वापस रणजी ट्राफी की अहमियत को समझने की शुरुआत कर देनी चाहिए , भले पजामा क्रिकेट और टी20 जैसे लघु पजामा मसाला ज़रूरी है उसी तरह टेस्ट की परख के लिए उदयीमान रणजी क्रिकेटरों की तरफ रुख करना चाहिए वरना भारत ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज़ की राह पर ना चल पड़े ।

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