दार्जिलिंग - कंपनी राज़ के दौरान की दुर्लभ तस्वीरें
हाम्रो राम्रो दार्जिलिंग कहता हूँ तो कोई गलत नहीं कहता , दार्जिलिंग की पहाडियों पर रचे बसे लोगों की एक मिली जुली संस्कृति मिलकर ही वृहद गोरखालैंड की परिकल्पना सार्थक करती है । पहाडो पर अपनी अपनी अलग पहचान को जीवंत बचाए हुए गोरखा,लेप्चा,भूटिया लोगों का एक लंबा इतिहास रहा है । कंपनी राज़ में यहाँ के शानदार वातावरण को देखकर ही अंग्रेजो ने इस जगह को अपने मनमाफिक बनाना शुरू कर दिया इससे सीधा लाभ यहाँ के रहवासियों को मिला , कई तरह की सौगाते अंग्रेज़ी हुकूमत ने पहाडी जन्नत को दिया । दार्जिलिंग की गौरवशाली इतिहास को तस्वीरों के माध्यम से समेटकर एक सन्दर्भ नुमा प्रयास एक पोस्ट के रूप में कर रहा हूँ । आओ जाने कि दार्जिलिंग कंपनी राज़ के दौरान कैसी दिखाई देती थी .
सन 1880 के आसपास दार्जिलिंग की सुरम्य आबोहवा में तिब्बती युवती पारम्परिक परिधान में
(साभार -सभी तस्वीरें गोरखा क्रीड के प्राप्त )
सन 1890 में नेपाली परिधान में खूबसूरत गोरखा युवती
सन 1880 के दौरान पर्वतो पर ट्रेन सेवा शुरू करने के लिए निर्माण कार्य होता हुआ
सन 1880 के आसपास दार्जिलिंग की सुरम्य आबोहवा में तिब्बती युवती पारम्परिक परिधान में
(साभार -सभी तस्वीरें गोरखा क्रीड के प्राप्त )
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