गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से नहीं मिलते विचार - छत्रे सुब्बा
गोरखालैंड को लेकर पहाड़ के राजनीतिक दलों में आपसी द्वंद्व चल रहा है। यही वजह है कि सरकार इसका फायदा ले रही है और गोरखालैंड का मामला खटाई में पड़ गया है। एक नहीं होने से जीटीए व दागोपाप जैसे ही विकल्प मिलते रहेंगे और कभी भी स्थिति ठीक नहीं हो पाएगी। हालांकि अलग राज्य का मुद्दा दबाना किसी सरकार या दल के वश की बात नहीं है और कोई ऐसा सोचता है तो यह उसकी गलतफहमी है। सरकार गोरखाओं के खिलाफ षड्यंत्र कर रही है और इसे समझने की आवश्यकता है। इसके लिए आंदोलन जारी रहेगा और इसे बौद्धिक रूप देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह चोरी या किसी अन्य आरोप में नहीं बल्कि गोरखालैंड मांगने के लिए आंदोलन के दौरान जेल गए थे। जो किया नहीं उसके लिए साढ़े 10 वर्ष जेल में बिताया। इसके बाद भी अलग राज्य के प्रति उनकी राय में परिवर्तन नहीं आया।
(साभार - जागरण)
Post a Comment