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क्या वाकई भुतहा है जापानी " हाशिमा आईलैंड " ?

वक्त की चादर अपने में कई याद बटोरे रहता है , जापान की समुंद्री सीमा के तहत आने वाले हाशिमा आईलैंड इतना अदभूत है कि इसकी कहानी सुने बिना दिल नहीं मानेगा। सन 1890 में जापान की सबसे बड़ी औद्योगिक कंपनी मित्सुबिशी ने सरकार से तब के ऊर्जा के सबसे बड़े स्रोत कोयले की समंदर के अन्दर दबे खदानों से कोयला निकालने का काम लेकर इस जगह कोयला उत्खनन का कार्य शुरू किया । जापानी शहर नागासाकी से 15 किलोमीटर दूर बीच समुन्दर में इस बेहद बड़े प्रोजेक्ट के लिए वहाँ लोगों को बसाना जरूरी था इसीलिए कंपनी ने समुन्द्र में ही विशाल युद्धपोत जैसे दिखने वाले कृत्रिम आईलैंड का निर्माण किया । इसी द्वीप में जापान की सांसे ऊँची इमारत का निर्माण हुआ जो कि 9 मंजिला थी , इस में कई आवासीय अपार्टमेन्ट का निर्माण किया ताकि यहाँ पर मजदूर और कर्मचारी परिवार सहित रह सके । 1939 से लेकर 1945 तक यहाँ पर 500 कोरियाई युद्धबंदियो से दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जबरन कार्य कराया गया था । सन 1959 तक इस 15 एकड़ क्षेत्रफल वाले आईलैंड की आबादी बढ़कर 5259 हो गई थी , वक्त बदला और धीरे धीरे जापान में कोयले की जगह पेट्रोलियम ने लेनी शुरू कर दी । पूरे देश से कोयले खदान बंद होने लगे इसी के तहत मित्सुबिशी ने वर्ष 1974 में इस आईलैंड से अपना कामकाज पूरी तरह समेट लिया । आज यह वीरान पड़ा हुआ है और इसे घोस्ट आईलैंड और बैटलशिप आईलैंड के रूप में भी जाना जाता है , सरकार ने 22 अप्रैल 2009 को लगभग 35 साल के बाद इस जगह को लोगों के लिए सार्वजनिक कर दिया ।

इस आईलैंड की तस्वीरें देखे


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