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इंद्रदेव मेहरबान, लहलहाते खेत खलिहान

देहरादून। देश के कुछ भागों में भले ही इंद्रदेव रुठे हों, लेकिन देवभूमि पर तो वह नेमत बरसाए हुए हैं। बीते अगस्त माह में हुई बारिश को देखें तो यह गत वर्ष के मुकाबले दस फीसदी अधिक है। फिर पूरे मानसून सीजन की अब तक की बात करें तो सूबे को 25 फीसदी अधिक बारिश मिल चुकी है। राज्य में इस मर्तबा भी मेघ खूब बरस रहे हैं। प्री-मानसून सीजन यानी अप्रैल से ही बारिश की निरंतरता बनी हुई है। मानसून सीजन को ही लें तो एक जून से 31 अगस्त की अवधि में राज्य को 1282.3 मिमी बारिश मिल गई, जबकि सामान्य तौर पर इस दौरान 1022 मिमी वर्षा होती है। यानी 25 फीसदी अधिक बारिश। अगस्त माह का ही जिक्र करें तो राज्य में मेघों ने 564.2 मिमी बारिश दी, जबकि बीते वर्ष इस माह 516 मिमी बारिश हुई थी। अगस्त में सामान्य रुप से 420 मिमी वर्षा होती है। फिर मौसम का जैसा रुख है, इससे आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोत्तरी की संभावना है।

राज्य में अगस्त में बारिश

वर्ष वर्षा स्थिति

2011 564 +32

2010 516 +23

अगस्त में दून में बरसात

वर्ष बारिश

2011 878.9

2010 1017

2009 453.9

2008 711.9

खेती को इंद्रदेव की 'संजीवनी'

सूबे में बरस रही नेमत ने किसानों के चेहरे खिला दिए हैं। वर्षाधारित खेती के लिए यह संजीवनी से कम नहीं है तो सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में भी खेतों में पानी लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। फिर मैदानी क्षेत्रों में सिंचाई के लिए ट्यूबवैल चलाने पर आने वाला खर्च भी इस मर्तबा बच गया। यही नहीं, महकमे को भी बारिश की मेहरबानी को देखते हुए अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। कृषि व्यवस्था पर नजर डालें तो सूबे के 95 विकासखंडों में से 71 में खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर है। यानी वक्त पर बारिश हो गई तो ठीक, अन्यथा सब चौपट, लेकिन इस बार तो अप्रैल से ही इंद्रदेव मेहरबान हैं। अब तक ड्राइ स्पेल की नौबत नहीं आई। हर दो-चार दिन में लगातार बारिश मिल रही है।

राज्य मौसम केंद्र के निदेशक डॉ.आनंद शर्मा के मुताबिक यह स्थिति खेतों में खड़ी धान की फसल के लिए बेहद मुफीद है। लगातार वर्षा के चलते मैदानी इलाकों में भी खेतों में पानी लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। कृषि निदेशक डॉ. मदनलाल का कहना है कि बारिश खेती के लिए संजीवनी है। बारिश अच्छी रही है तो इससे राज्य में बेहतर उत्पादन की आस भी जगी है। कृषि निदेशक का कहना है कि इन दिनों जहां भी धान पर बालियां फूट रही है, उसे देखते सिर्फ कीट-व्याधि के मद्देनजर सावधानी बरतने की जरूरत है।

रबी के लिए भी मुफीद

मानसून की यह बारिश आने वाली रबी की फसल के लिए भी मुफीद है। असल में इस बार जिस हिसाब से वर्षा हो रही है, उससे जमीन में पर्याप्त नमी है। साथ ही, जलस्रोत भी अच्छे ढंग से रीचार्ज हो गए हैं। ऐसे में आने वाली रबी की फसल के लिए पर्याप्त नमी बनी रहेगी।

(साभार - जागरण )

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