Header Ads

नाम पर बहाना, लुटा रहे खजाना

देहरादून . वाह! ओएनजीसी अफसरों ने क्या गजब काम किया है। जिस पॉलिटेक्निक संस्थान को एनजीओ बताया, उसी में अपने अधिकारी को तैनात कर दिया। यही नहीं उस संस्थान में कार्य के लिए ओएनजीसी का राष्ट्रीय स्तर का इनाम भी थमा दिया। प्रमोशन का तोहफा दिया वो अलग। आरटीआइ में मिले दस्तावेज ओएनजीसी अफसरों की इस कारगुजारी को बयां कर रहे हैं। अब उनके उगलते बन रहा है और निगलते। ओएनजीसी महिला पॉलीटेक्निक संस्थान (वर्तमान नाम बीएस नेगी महिला प्राविधिक प्रशिक्षण संस्थान) को ओएनजीसी एक एनजीओ मानता है। प्रबंधन संस्थान के प्रधानाचार्य पद पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात करता आया है।
प्रशिक्षण
संस्थान की गवर्निंग बॉडी में भी करीब 75 फीसदी पदों पर ओएनजीसी के ही अधिकारी आसीन हैं। बावजूद इसके अपने कई आधिकारिक दस्तावेजों में ओएनजीसी प्रबंधन कह चुका है कि उसका पॉलीटेक्निक संस्थान से कोई लेना-देना नहीं। मगर, आरटीआइ में कुछ ऐसे दस्तावेज सामने आए हैं, जिससे पता चलता है कि ओएनजीसी ने तत्कालीन डीजीएम (वर्तमान में जीएम, एचआर) ओमपी सुयान को इसलिए राष्ट्रीय स्तर का इनाम दिया कि उन्होंने पॉलीटेक्निक संस्थान में बेहतर कार्य किया। यह अवार्ड ओएनजीसी के उन चुनिंदा अफसरों को मिलता है, जिन्होंने ओएनजीसी की प्रगति के लिए उत्कृष्ट सेवाएं दी हों। इसके तुरंत बाद उनकी तरक्की भी ऊंचे ओहदे पर कर दी गई।
दिलचस्प
यह कि अफसर आरटीआइ के उस बिंदु को छिपा गए, जिसमें पूछा गया था कि ओएनजीसी ने किस नियम के तहत अपने अधिकारी को पॉलिटेक्निक संस्थान में स्थानांतरित किया। बड़ा सवाल यह है कि यदि संस्थान निजी है तो ओएनजीसी ने किस हैसियत से वहां अपने अधिकारी को तैनात किया और फिर उसके काम के इतने मुरीद हो गए कि तोहफा भी दे दिया। यदि प्रशिक्षण संस्थान ओएनजीसी का है तो क्यों बार-बार उसे आधिकारिक रूप से पराया बताया जा रहा है। अधिकारियों के पास इसका ठोस जवाब नहीं है। वह सिर्फ एक ही राग अलाप रहे हैं कि संस्थान हमारा नहीं।

'हां यह सही है कि मुझे ओएनजीसी से पृथक पॉलीटेक्निक संस्थान में बेहतर काम के लिए पुरस्कृत किया गया। यह फैसला प्रबंधन का है। सिर्फ मेरे वहां कार्य करने से संस्थान ओएनजीसी का नहीं हो जाता।' - एमपी सुयान, जीएम (एचआर), ओएनजीसी

(साभार -जागरण)

No comments

Powered by Blogger.