प्रथम विश्वयुद्ध में गोरखा सैनिको की वीर गाथा
दीपक राई
भारत और नेपाल में बसे टी त सैट नमन सभी तस्वीरें आयो गोरखाली के सौजन्य से है ,जिससे इस वीर समाज की गाथा सबके सामने प्रकट हुई है। उसी कड़ी में दुनियाभर में फ़ैल चुके प्रथम विश्वयुद्ध में गोरखा सैनिको ने अपने आदमी साहस और वीरता का प्रमाण देते हुए ब्रिटिश गोरखा संयुक्त अभियानों में मित्र सेना की ओर से लड़ते हुए दुश्मन इटली,जापान,तुर्की और जर्मन मुल्को के दांत खट्टे कर दिए थे । चाहे वह खाड़ी के देश ईराक में तुर्की राष्ट्र की घेराबंदी हो या फ्रांस में जर्मन सेना का मुकाबला हो , हर अग्रिम पंक्ती में गोरखा सैनिको ने बहादुरी से युद्ध में जय उदघोष किया । ऐसे वीर गोरखा योद्धाओ को नमन। इस प्रथम विश्वयुद्ध में अपने जौहर दिखाने वाले गोरखा सैनिको के दुर्लभ चित्र आयो गोरखाली के सौजन्य से आप सभी के सामने पेश कर रहा हूँ .
प्रथम विश्व युद्ध ( 1914-1918)
सन 1915 में फ्रांस के न्युवे -चैपल युद्ध में लड़ाई के दौरान आधुनिक हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त करते सैकंड गोरखा राईफल के गोरखा जवान
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान गैलीपोली शहर को तुर्की आक्रमणकारी के चंगुल से छुडाने के बाद छठवी गोरखा रेजिमेंट के जवान विश्राम करते हुए .
प्रथम विश्वयुद्ध के चरम पर ग्रीस के शहर गैलीपोली को तुर्की आक्रमणकारी के चंगुल से छुडाने के लिए तैयार छठवी गोरखा रेजिमेंट के जवान
सन 1917 में ईराक के मध्य में स्थित रमादी शहर में जो कि राजधानी बगदाद से महज़ 110 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में है ,पर 5th गोरखा राईफल के गोरखा राईफलमेन .
प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की के शाह हकुमत के खिलाफ ब्रिटिश मित्र सेना की और से जंगे मैदान पर ल्युईस स्वचालित मशीन गन से तैनात गोरखा सैनिको का एक दल सन 1917 के सर्दियों में .
फरवरी 1917 की सर्दियों के के दौरान मेसापोटामिया से तुर्की तक बहकर जाने वाली टिगरिस नदी को पार करके तुर्की पर धावा बोलने को तैयार 2/9 गोरखा रेजिमेंट के सैनिको की टुकड़ी .
सन 1918 को तुर्की से युद्ध करते हुए ब्रिटिश गोरखा सेना खाड़ी में भी अपने शौर्य और साहस से लड़े और हमेशा की तरह उस समय के मेसापोटामिया और आज के ईराक में विजय पताका लहराया .
प्रथम विश्वयुद्ध में अत्याधुनिक माने जाने वाले विकर मशीन गन लेकर पहाडी ठिकाने में मुस्तेद गोरखा फौज की टुकड़ी गरमान दुश्मनों से लोहा लेते हुए .
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अपने शौय को मित्र सेना के लिए समर्पित करके ब्रिटिश फौज में तैनात एक गोरखा हवालदार
(सभी तस्वीरें आयो गोरखाली के सौजन्य से प्राप्त हुए है एवं इसे गोरखा समाज तक पहुंचाने के उद्देश्य से यहाँ पर प्रकाशित कर रहा हूँ , इसके लिए आयो गोरखाली का आभार )
भारत और नेपाल में बसे टी त सैट नमन सभी तस्वीरें आयो गोरखाली के सौजन्य से है ,जिससे इस वीर समाज की गाथा सबके सामने प्रकट हुई है। उसी कड़ी में दुनियाभर में फ़ैल चुके प्रथम विश्वयुद्ध में गोरखा सैनिको ने अपने आदमी साहस और वीरता का प्रमाण देते हुए ब्रिटिश गोरखा संयुक्त अभियानों में मित्र सेना की ओर से लड़ते हुए दुश्मन इटली,जापान,तुर्की और जर्मन मुल्को के दांत खट्टे कर दिए थे । चाहे वह खाड़ी के देश ईराक में तुर्की राष्ट्र की घेराबंदी हो या फ्रांस में जर्मन सेना का मुकाबला हो , हर अग्रिम पंक्ती में गोरखा सैनिको ने बहादुरी से युद्ध में जय उदघोष किया । ऐसे वीर गोरखा योद्धाओ को नमन। इस प्रथम विश्वयुद्ध में अपने जौहर दिखाने वाले गोरखा सैनिको के दुर्लभ चित्र आयो गोरखाली के सौजन्य से आप सभी के सामने पेश कर रहा हूँ .
प्रथम विश्व युद्ध ( 1914-1918)
सन 1915 में फ्रांस के न्युवे -चैपल युद्ध में लड़ाई के दौरान आधुनिक हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त करते सैकंड गोरखा राईफल के गोरखा जवान
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान गैलीपोली शहर को तुर्की आक्रमणकारी के चंगुल से छुडाने के बाद छठवी गोरखा रेजिमेंट के जवान विश्राम करते हुए .
प्रथम विश्वयुद्ध के चरम पर ग्रीस के शहर गैलीपोली को तुर्की आक्रमणकारी के चंगुल से छुडाने के लिए तैयार छठवी गोरखा रेजिमेंट के जवान
सन 1917 में ईराक के मध्य में स्थित रमादी शहर में जो कि राजधानी बगदाद से महज़ 110 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में है ,पर 5th गोरखा राईफल के गोरखा राईफलमेन .
प्रथम विश्वयुद्ध में तुर्की के शाह हकुमत के खिलाफ ब्रिटिश मित्र सेना की और से जंगे मैदान पर ल्युईस स्वचालित मशीन गन से तैनात गोरखा सैनिको का एक दल सन 1917 के सर्दियों में .
फरवरी 1917 की सर्दियों के के दौरान मेसापोटामिया से तुर्की तक बहकर जाने वाली टिगरिस नदी को पार करके तुर्की पर धावा बोलने को तैयार 2/9 गोरखा रेजिमेंट के सैनिको की टुकड़ी .
सन 1918 को तुर्की से युद्ध करते हुए ब्रिटिश गोरखा सेना खाड़ी में भी अपने शौर्य और साहस से लड़े और हमेशा की तरह उस समय के मेसापोटामिया और आज के ईराक में विजय पताका लहराया .
प्रथम विश्वयुद्ध में अत्याधुनिक माने जाने वाले विकर मशीन गन लेकर पहाडी ठिकाने में मुस्तेद गोरखा फौज की टुकड़ी गरमान दुश्मनों से लोहा लेते हुए .
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अपने शौय को मित्र सेना के लिए समर्पित करके ब्रिटिश फौज में तैनात एक गोरखा हवालदार
(सभी तस्वीरें आयो गोरखाली के सौजन्य से प्राप्त हुए है एवं इसे गोरखा समाज तक पहुंचाने के उद्देश्य से यहाँ पर प्रकाशित कर रहा हूँ , इसके लिए आयो गोरखाली का आभार )
Post a Comment