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GTA बिल पर रिव्यू कमेटी बना रही नियम : क्षेत्री

कालिम्पोंग। रिव्यू कमेटी बैठक शीघ्र होगी और जीटीए बिल को राष्ट्रपति के पास इसे मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के लिए नियम बनाए जाएंगे। हालांकि यह अधिकार प्रदेश सरकार के पास भी है और इसके रिव्यू कमेटी में शामिल भी नीति बना सकते हैं। जीटीए के नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह जानकारी बुधवार को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता कालिम्पोंग के विधायक डॉ। हर्क बहादुर क्षेत्री ने बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि रिव्यू कमेटी अपना कार्य कर रही है और नियम आदि के लिए भी शीघ्र बैठक करेगी। इसके अलावा विकास कार्यो के मद मिले दो सौ करोड़ रुपये का प्रयोग किये जाने और इसकी रूपरेखा भी तैयार की जा रही है। इसके लिए परिकल्पना और प्राथमिकता भी तय की जा रही है। जीटीए में सीमांकन के तहत तराई-डुवार्स क्षेत्र के मौजों को शामिल किये जाने और इस पर पैदा हुए मतभेद को लेकर उन्होंने साफ किया कि जीटीए में चुनाव होने से पूर्व 45 क्षेत्रों का सीमांकन हो जाएगा। हालांकि इसमें थोड़ा समय लगेगा और हाई पावर कमेटी के रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

इससे पूर्व पंचायत क्षेत्रों में सीमांकन प्रक्रिया करीब 20 वर्ष पहले हुई थी। इस बार सीमांकन के तहत 45 क्षेत्रों का बंटवारा किया जाएगा। यह कार्य प्रशासनिक सुधार के तहत होगा। गोरखा लिबरेशन आर्गेनाइजेशन के पूर्व प्रमुख छत्रे सुब्बा की रिहाई पर विधायक हर्क बहादुर क्षेत्री ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि उनके उपर लगाए गए आरोप झूठे साबित हुए और पूर्व की सरकार ने उन्हें साजिश के तहत जेल में डाले रखा। यह सीधे तौर पर मानव अधिकारों का हनन था। इसके बावजूद न्यायालय ने छत्रे सुब्बा को रिहा कर दिया। उनकी रिहाई को लेकर किसी को श्रेय नहीं लेना चाहिए और ऐसा किया जा रहा है तो यह गलत है। इसके पीछे प्रदेश सरकार के योगदान को नहीं नकारा जा सकता है। छत्रे सुब्बा को पार्टी में शामिल किये जाने पर उन्होंने बताया किया इसका जवाब मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग देंगे, हालांकि जिसका सिद्धांत मोर्चा के साथ है उसके पक्ष में हमेशा पार्टी खड़ी रहेगी। इसके लिए वह अंदर रहें या बाहर, मोर्चा उनके सिद्धांतों की कद्र करता है। उन्होंने आराम करने की इच्छा जाहिर की है और वह आराम करके भी अलग राज्य के आंदोलन में अपना सहयोग दे सकते हैं।

(साभार - जागरण)

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