आदिवासी परिषद् और मोर्चा ने मिलाए आपस में हाथ
गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन(जीटीए) के गठन के बाद गोजमुमो ने डुवार्स को भी इसमें शामिल करने की मांग उठाई थी। इसका अभाआविप ने विरोध किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए भी यह एक चुनौती ही थी कि गोरखालैंड मसले को हल किया तो अब दूसरा मसला उठ खड़ा हुआ। अब जबकि पहाड़-डुवार्स के नेताओं ने हाथ मिला लिए हैं तो राजनीतिक प्रेक्षक इसके दूर का मतलब भी निकाल रहे हैं। बता दें कि गोजमुमो अभी भी बार-बार कह रहा कि वह अलग राज्य के मसले से पीछे नहीं हटा है। चूंकि डुवार्स भी अब साथ खड़ा हो गया है तो राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि इस मुद्दे को अब ज्यादा जोरदार तरीके से हवा दी जा सकती है। भले ही अभी नहीं, बाद में।
बहरहाल, विमल गुरुंग और जॉन बारला ने कहा कि अब जीटीए का नाम बदलकर जीएंडएटीए रखा जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व केंद्रीय गृह सचिव से दोनों दलों के प्रतिनिधि जल्द ही बातचीत करेंगे। मंगपंग में इस घोषणा से पहले दोनों दलों के प्रमुख नेताओं में एक घंटे से अधिक समय तक बातचीत हुई। इस अवसर पर गोजमुमो के दार्जिलिंग, मिरिक, कर्सियांग, कालिंपोंग समेत सभी प्रखंडों के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। अभाआविप की राज्य कमेटी के महासचिव तेजकुमार टोप्पो समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने बैठक में भाग लिया। बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की गयी। नाम बदलने के बारे में पूछे जाने पर विमल ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार से हुए समझौते के अनुसार जीटीए का चुनाव होने के बाद बहुमत से उसका नाम बदलने का प्रावधान है।
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