विख्यात गायक भूपेन हजारिका नहीं रहे
1992 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म भूषण से नवाजे जा चुके भूपेन दा देश के ऐसे विलक्षण कलाकार थे, जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते थे। उनका जन्म असम के सादिया में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने अपना प्रथम गीत लिखा और दस वर्ष की आयु में उसे गाया। उन्होंने असमिया की दूसरी फिल्म 'इंद्रमालती' के लिए 1939 में 12 वर्ष की आयु में काम किया था। 'गांधी टू हिटलर' फिल्म में महात्मा गांधी के भजन 'वैष्णव जन' तथा फिल्म 'रुदाली' के 'दिल हुम हुम करे' के अलावा 'गंगा बहती हो क्यों' को अपनी आवाज और संगीत देने वाले भूपेन दा को सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ गीत लिखे बल्कि कविता लेखन, पत्रकारिता, गायन, फिल्म निर्माण आदि अनेक क्षेत्रों में काम किया। भूपेन दा के निधन से संगीत जगत एवं देश के बाहर संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है।
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