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गोरखालैंड का प्रस्ताव पारित कर जीटीए को ख़ारिज करे : राई

मुकेश शर्मा
कालिम्पोंग :
‘यदि मोर्चा ईमानदार से कार्य करे तो ज़ल्द से ज़ल्द जीटीए सभा के बैठक बुलाकर आधिकारिक रुप में गोरखालैंड  के प्रस्ताव पारित कर पहले सरकार को भेजे उसके बाद जीटीए को ख़ारिज करने का प्रस्ताव पारित ग्रहण करे। अगर अब फिर  विकास के बात होता रहा तो हम समर्थन नहीं करंगे आज उक्त बात क्रामाकपा पार्टी के अध्यक्ष पूर्व संसद एवं गोरखालैंड जॉइंट एक्शन कमिटी के उपाध्यक्ष आरबी राई ने आज कालिम्पोंग में पत्रकारों से बात करते हुआ कहा । कालिम्पोंग आञ्चलिक समिति के दलीय कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मलेन में क्रामाकपा अध्यक्ष ने आज जीटीए के सम्बन्ध में क्रामाकपा के रुख को स्पष्ट किया है। गोजएक एवं क्रामाकपा  मोर्चा को जीटीए के लिए हमेशा के लिए समर्थन नहीं करने वाला। जीटीए के पुर्नगठन करके जीटीए सभा में गोरखालैंड के प्रस्ताव लाने से उचित होगा। उक्त प्रस्ताव स्वंय मोर्चा ने  अगस्त के दिन दार्जीलिंग में संपन सर्वदलीय बैठक में कहा था जिसके बाद मात्र गोजएक बना था। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जीटीए गोरखालैंड के मार्ग में बाधा है। 

राई ने कहा ये वक्त मोर्चा के लिए गोरखालैंड राज्य हेतु ईमानदारी से जनता के मध्य विश्वास दिखाने में  परीक्षा की घड़ी है। हाल तक गोरखाओं द्वारा दिया गया त्याग, वलिदान कष्ट के परवाह नहीं करते हुए अगर मोर्चा वापस विकास मुलक कार्यों में ही केन्द्रित हुए तो वो गोजएक के मूल उद्देश्य गोरखालैंड के विरूद्ध होने की बात आज क्रामाकपा पार्टी ने स्पष्ट कह दिया है। राई ने आगे कहा की गोजएक गठन करने के मूल उद्देश्य गोरखालैंड रहने के चलते साझा निर्णय ही सभी को स्वीकार्य होना चाहिए। जो उस निर्णय को स्वीकार नहीं करते या विचार नहीं मिलते तो वो दल अलग हो जाए। राई ने आज ये भी साफ़ किया है कि यदि मोर्चा विश्वास तोड़कर जीटीए में रहते है तो भी गोजएक के अस्तित्व पर कोई संकट नहीं आएगा। मोर्चा गोजएक से यदि निकलने का मन बनता है तब भी  क्रामाकपा पार्टी अकेले इस आन्दोलन को निरन्तरता देने के संकेत राई ने दिया। वही हाल में मोर्चा प्रमुख विमल गुरुंग के बयान के सन्दर्भ में कहा की सौ पैर होने वाले के यदि एक पैर टूट जाये तो उसको कोई फ़र्क नहीं पड़ता, पर गिनती में मात्र फ़र्क पड़ेगा। 

अलग राज्य गोरखालैंड के आन्दोलन में हाल तक एक नहीं हो सकने वाले राजनैतिक दल, व्यक्ति विशेष आदि सभी को एकत्रित करना जरुरी रहने की बात कहते हुए राई ने कहा। वही क्रामाकपा केंद्रीय प्रवक्ता गोविन्द क्षेत्री ने कहा कि सर्वभारतीय स्तर से अलग राज्य के लिए गोरखा जाति सड़क में उतरने के समय मोर्चा यदि जीटीए में रहते है तो ये समस्त गोरखा के लिए महाधोखा होगा। क्रामाकपा के सिद्धान्त अलग राज्य के लिए सभी दलों  को एक करना है। अगर ऐसा नहीं होता तो एक विचार मिलने वाले एक होकर आन्दोलन को आगे लेकर जाना होगा यदि वो भी सम्भव नही होता तो अलग-अलग होने के बावजूद सभी दलों के एक मात्र साझा मुद्दा होना चाहिए। अगर कोई भी बात संभव नहीं होता तो अन्तिम समय तक क्रामाकपा अकेले गोरखालैंड के लिए लड़ता रहेगा। 


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