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गोरखा समुदाय के गुरुङ उपजाति का एक पर्व “तमु ल्होसर”

तिलक राज गुरुङ ङोरमै 
तमु ल्होसर गुरुङ जाति का विशेष धार्मिक पर्व है. गुरुङ जाति के प्राचीन धर्म ग्रन्थों के अनुसार प्रत्येक वर्ष विक्रमी सम्वत के पौष माह के 15 तारीख से इनका नव वर्ष आरम्भ होता है, जिसे “तमु ल्होसर” कहते हैं. हिन्दू ज्योतिष शास्त्र की 12 जन्म राशियों की तरह इनके भी 12 जन्म ल्हो (वर्ग) होते हैं. जो प्रत्येक वर्ष विक्रमी सम्वत् के पौष माह के 15 तारीख अर्थात् नव वर्ष को बदलते रहते हैं. ये विभिन्न पशु-पक्षियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

(वर्ग) इस प्रकार से हैं:- 
1. च्युल्हो (मुसक वर्ग)
२. ल्वोंल्हो( गाय वर्ग)
३. तोल्हो( बाघ वर्ग)
४. हियल्हो(बिल्ली वर्ग)
५. मुप्र्हिल्हो (गरुड़ वर्ग)
६. सप्र्हील्हो (सर्प वर्ग)
७. तल्हो (घोड़ा वर्ग)
८. ल्हुल्हो (भेड़ वर्ग)
९. प्रल्हो (बँदर वर्ग)
१०. च्यल्हो(पक्षी वर्ग)
११. खिल्हो(श्वान वर्ग)
१२. फोल्हो(मृग वर्ग)

उपरोक्त ल्हो (वर्ग) अपने क्रमानुसार प्रत्येक वर्ष बदलते रहते हैं. प्रत्येक वर्ष 29 दिसंबर तदानुसार विक्रमी संवत् के 14 पौष के मध्य रात्रि को ठीक 11.59 बजे पिछला ल्हो (वर्ग) विदा होकर नये ल्हो(वर्ग) का आगमन होता है. इस वर्ष सप्र्हील्हो (सर्प वर्ग) विदा होकर तल्हो (घोड़ा वर्ग) का आगमन हो रहा है.

तमु (गुरुङ) जाति की वास्तविक पहचान कराने वाले तथ्यों में से एक "ल्हो" (वर्ग) गणना द्वारा व्यक्ति की आयु मालुम करने की पद्धति है. इसीलिये “ल्होकोर” तमु (गुरुङ) जाति के लिये अति महत्वपूर्ण पद्धत्ति माना जाता है. इस ल्हो (वर्ग) से कर्मफल शुभ अशुभ दशाफल शगुन विचार महीना तिथि तथा दिन निकाल कर धार्मिक अनुष्ठान व अन्य मांगलिक कार्य किये जाते हैं. ल्होकोर में १२ गुरु र १ मूल गुरु करके १३ गुरुओं द्वारा अपने अपने निर्देशों द्वारा इन ल्हो (वर्ग) का संचालन किया जाता है. वर्ष के हिसाब से प्रत्येक ल्हो (वर्ग) एक एक वर्ष भोग करते हैं. जैसे 30 दिसंबर 2013 से 29 दिसंबर 2013 तदानुसार विक्रमी सम्वत् 2070 पौष 15 से 2071 पौष 14 तक तल्हो (घोड़ा बर्ग) का प्रभाव रहेगा. इस अवधि के दौरान जन्म लेने वाले शिशुओं का कर्म फल तल्हो होगा. इसी प्रकार तल्हो (घोडा वर्ग) एक वर्ष पुरा कर के अगले वर्ष में "ल्हुल्हो" (भेड़ा वर्ग) का आगमन होगा. इसी ल्हो परिवर्तन के दिन को ही “ल्होसर” उत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इसी क्रम में घडी के चक्र के अनुरुप ल्होकोर (वर्ग परिवर्तन) मनुष्य के जीवन गति तथा समय के संग अविरल चलता रहता है. तमु जाति (गुरुङ जाति) के ल्हो गणना अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म जिस जीव-जन्तु के प्रतीक वाले ल्हो (वर्ग) में जन्म लिया है उस व्यक्ति के जीवन में उसी जीव-जन्तु के प्रकृति का प्रभाव पाया जाता है.

ल्होसर मनाने का तरिका 
ल्होसर के दिन प्रात उठ कर घरों में कुल अथवा पितृ-पूजा  स्थल की सफाई करके स्वच्छ जल फूल चढा कर कुल देवता व पित्रों की पूजा की जाती हैं. घर के बड़े बुजुर्ग छोटो को रिपा (एक प्रकार का एक पवित्र धागों का सूत्र गले में पहना कर शुभकामना दी जाती है. विशेषकर जिनका ल्हो (वर्ग) परिवर्तन हो रहा है, उनके लिये विशेष पूजा अर्चना की जाती है. घरों में पारम्परिक भोजन पकाया जाता है जैसे सेल रोटी भात, मासू भुंडी- भुटुवा तरुल गोर्खा चटनी टिमुर व टमाटर की चटनी भट्टा-गुन्द्रुक कि तरकारी आदि महिलएं पुरुष युवक व युवतियां अपने पारम्परिक पोशाक पहनते हैं तथा सामूहिक भोजन का आयोजन किया जाता युवक-युवतियां लोक गीत गाकर लोक नृत्य प्रस्तुत करते हैं. इसी क्रम में देहरादून में प्रत्येक वर्ष तमु धी (गुरुङ समाज) समिति द्वारा ल्होसर उत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है. इसमें गुरुङ जाति के लोक संस्कृति को प्रस्तुत किया जाता है. कलाकारों द्वारा गुरुङ लोक नृत्य प्रस्तुत किया जाता है.

गुरुङ पारम्परिक पोशाक पहने हुए युवक-युवतियों के बीच मिस तमुस्यो ल्होसार व मिस्टर तमु ल्होसार प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इसके साथ् क्विज व विभिन्न प्रतियोगिताऐं आयोजित की जाती हैं. अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण हुए छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन पुरस्कार वितरित किए जाते हैं. ल्होसार लकी कूपन ड्रा का आयोजन किया जाता है. गोरखा समुदाय फूलों का एक बहुत विशाल बग़ीचे की तरह है, जिसमे विभिन्न जाति के रूप में विभिन्न सुन्दर फूल खिले हैं, जैसे बाहुन(ब्राह्मण), क्षेत्री(थापा), ठकुरी, गुरुङ, मगर, नेवार, तामंग, थामी, भुजेल (खवास), राई (खम्बु), लिम्बू (सुब्बा), सुनवार (मुखिया), याक्खा (देवान), शेरपा, याल्मो कामी,सुनार, दमाई, सार्की, आदि. इनकी सभी की अपनी अपनी सुगन्ध तथा खूबसूरत रंगो की तरह विभिन्न रीति-रिवाज संस्कृति होते हुए भी गोरखा समुदाय रुपी एक ही बग़ीचे की शोभा बढाते हैं. सभी उपजातियां एक दूसरे के तीज त्यौहार, उत्सव मिल-जुल कर धूम-धाम से मनाते हैं. यह गोरखाओं की सांस्कृतिक एकता का परिचय है.

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