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जान जोखिम में डाल निकालते हैं गुरुंग समुदाय के लोग नेपाल में शहद

वीर गोरखा न्यूज़ नेटवर्क 
शहद खाने में तो बेहद स्वादिष्ट होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे कितने मुश्किल से मधुमक्खियों के छत्तों से निकाला जाता है। खतरनाक पहाड़ियों पर रस्सी के सहारे लटकने के बाद इस शहद को इकट्ठा किया जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको नेपाल के गुरुंग समुदाय के बारे में बता रहे हैं, जो अपनी जान जोखिम में डालकर खतरनाक पहाड़ों से शहद इकट्ठा  करता है।


गुरुंग समुदाय
यह समुदाय मध्य नेपाल में रहता है। इस समुदाय का काम ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर रस्सी के सहारे लटक कर शहद इकट्ठा करने का है। गुरुंग समुदाय जिन मधुमक्खियों के छत्तों से शहद इकट्ठा  करता है वे विश्व की सबसे बड़ी मधुमक्खी कही जाती है। गुरुंग समुदाय साल में दो बार मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकालने का काम करते हैं। इसके लिए वह सिर्फ रस्सी, एक सीढ़ी, टोकरी और छड़ी का इस्तेमाल करते हैं। शहद निकालने का यह काम तीन दिनों तक चलता है।

पहले होती है पहाड़ों की पूजा
शहद निकालने से पहले गुरुंग समुदाय पहाड़ों के देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद ही शहद निकालने का काम शुरू होता है। शहद निकालने से पहले छत्तों पर धुआं किया जाता है, ताकि मधुमक्खियां अपने-अपने छत्तों से बाहर निकल जाएं। समुदाय का एक सदस्य सीढ़ी पर चढ़कर छत्तों तक पहुंचता है। ऊपर पहुंचकर वो छड़ी से छत्तों को तोड़कर टोकरी में इकट्ठा करता है। इसके बाद सावधानीपूर्वक इन छतों को नीचे लाया जाता है।

क्या है इस मधुमक्खी का नाम
Apis Laboriosa : इस मधुमक्खी की लंबाई 3 सेमी के लगभग होती है। यह अपना छत्ता सबसे ऊंची पहाड़ी पर बनाती है।
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