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भोपाल के मार्केट में बढ़ रही नेपाली स्टोन ज्वैलरी की डिमांड, 10 करोड़ का भोपाली मार्केट


भोपाल। नेपाल केवल टूरिज्म के मामले में ही नहीं बल्कि फैशन के मामले में भी आगे बढ़ रहा है। इसका अंदाज भोपाल के मार्केट में बढ़ रही नेपाली ज्वैलरी की डिमांड से लगाया जा सकता है। ज्वैलरी एक्सपर्ट की माने तो पिछले कुछ सालों में लोगों को नेपाल, भूटान और असम की स्टोन ज्वैलरी में इंट्रेस्ट आया है। इंडियन अष्टधातु के साथ नेपाली स्टोन और भूटानी पर्ल का कॉम्बीनेशन डिमांड में है। कंटेंप्रेरी लुक की चाह रखने वालों के लिए भोपाल के ज्वैलरी मार्केट में नए ऑप्शन आए हैं।

ज्वैलरी का कंटेंप्रेरी अंदाज
अष्टधातु, पर्ल, स्टोन ज्वैलरी के नए पैटर्न कंटेंप्रेरी लुक के लिए काफी हैं। इन्हें इंडो वेस्टर्न ड्रेस के साथ कैरी किया जा सकता है। फैशन डिजाइनर नीतू महाजन कहती हैं कि नेपाली स्टोन और इंडियन अष्टधातु के कॉम्बीनेशन से तैयार ज्वैलरी के साथ स्प्रिचुअलिटी भी झलकती है। मैरिज फंग्शन या पूजा आदि में ड्रेस के साथ इस ज्वैलरी का कॉम्बीनेशन परर्फेक्ट लुक देगा।

अरबी में आयतें, संस्कृत के श्लोक
ज्वैलरी मेकर स्टोन और पर्ल के साथ अष्टधातू मिक्स कर ज्वैलरी तैयार कर रहे हैं। सिल्वर और प्लेटिनम के साथ भी ज्वैलरी बनायी जा रही है। स्टोन को और खूबसूरत बनाने के लिए इसके चारो ओर मीनाकारी से संस्कृत श्लोक और अरबी की आयतें लिखी गईं हैं। ऊं, श्री, स्वातिक लिखे स्टोन सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। लोग अपने नाम के पहले अक्षर को भी स्टोन पर मीना से कढ़वा रहे

भोपाल में 10 करोड़ का मार्केट 
ज्वैलरी डिजाइनर दीपांजलि बतातीं हैं कि भोपाल में पिछले कुछ सालों में स्टोन ज्वैलरी का कारोबार लगभग 10 करोड़ रुपए तक पहुंचा है। लोग नग और अमेरिकन डायमंड से ज्यादा अब रंगीन स्टोन और पर्ल से तैयार ज्वैलरी वेयर करना पसंद कर रहे हैं। नेपाल, भूटान और असम के ट्रायबल वहां के पहाड़ों और पेड़ों की जड़ों में मिलने वाले स्टोन की ज्वैलरी वेयर करते हैं। अब इनकी डिमांड इंडियन मार्केट में भी बढ़ी है। इन स्टोन की कीमत 500 रुपए प्रति नग से 20 हजार रुपए प्रति नग तक होती है।

कृष्ण, बांसुरी और मयूर
ज्वैलरी डिजाइनर गोविंद गुप्ता कहते हैं कि स्टोन ज्वैलरी को अष्टधातु के साथ बनाने के दो फायदे हैं। पहला कि अष्टधातु पानी लगने से खराब नहीं होती इसलिए ज्वैलरी ज्यादा समय तक यूज की जा सकती, दूसरा अष्टधातु ज्वैलरी की रीसेल वैल्यू भी ज्यादा है। इन दिनों मोहनजो दाड़ो, मिर्जिया और बाहुबली जैसी फिल्में रिलीज हुईं हैं, जिसके बाद से लोगों को टैम्पल और एथेनिक ज्वैलरी डिजाइन पसंद आ रहे हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा राधा-कृष्ण, बांसुरी-डमरू और मयूर पैटर्न डिमांड में है।

साभार - पत्रिका
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