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जाने गोर्खाली महिला हरितालिका तीज पर्व के मायने और महत्त्व को : उमा उपाध्याय की कलम से



- उमा इंदिरा उपाध्याय
हरितालिका तीज गोर्खाली समुदाय की महिलाओं द्वारा उपवास एंव निर्जल रहकर मनाया जाने वाला प्रमुख व्रत और त्योहार है। यह भाद्रशुक्ल पक्ष के तृतिया तिथि को मनाया जाता है :-  दर खाने तीज  से एक दिन पहले द्वितीया तिथि को दर खाने दिन कहा जाता है दर बेटियों को मायके मे खिलाया जाता है ताकि अगले दिन तृतीया को निर्जल निराहार व्रत रखने के लिये शारीरिक एंव मानसिक रूप से मजबूत रह सके।

हरितालिका व्रत तृतीया को पति एवंम अपने परिवार के सुख समृद्धि  अच्छे स्वास्थ्य,दीर्घायु एव सदा सुहागन बने रहने के लिये व्रत किया जाता है कन्याएं भी अच्छे वर पाने के लिये इस व्रत को रखती है। गणेश चतुर्थी ऋद्धी सिद्वि तथा सुख समृद्धि के लिये यह व्रत रखा जाता है।

ऋषि पंचमी हिन्दू मान्यताओ के अनुसार महिलाओं द्वारा रजस्वला के दौरान किन्ही कारणो से भूलवश जाने अन्जाने मे धार्मिक कार्यो मे हुये पापकर्म से मुक्ति के लिये व्रत रखकर लगातार चार दिनों तक हरितालिका तीज त्योहार स्वरूप मनाया जाता है। मैं भी आज अपने वयोवृद्ध माता पिता पंडित राधारमण अधिकारी माता श्रीमती महिमा अधिकारी   बुलावे पर मायके आयी हुं पिताजी हर साल मुझे लेने स्वयं आते थे इस बार वे अस्वस्थ होने के कारण फोन पर बुलावा भेजा भगवान भोलेनाथ से इस तीज मे अपने पिता के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करती हूं उनका छत्र छांया सदैव हम पर बनी रहे ।

(लेखिका देहरादून की वरिष्ठ समाजसेवी एवं गोरखा डेमोक्रेटिक फ्रंट की राष्ट्रीय अध्यक्ष है।)
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