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दार्जिलिंग-डुआर्स : सामाजिक कल्याण के लिए संयुक्त गोरखा जातीय मंच का गठन, बिनीता खाम्बु राई बनी संयोजक


वीर गोरखा न्यूज पोर्टल
दार्जिलिंग : सभी जनजाति गैर जनजाति अनुसूचित जाति एवं अल्पसंख्यक के रजिस्टर्ड संगठनों द्वारा समाज के हित के लिए मिलकर दार्जिलिंग पहाड़, डुआर्स एवं तराई के विभिन संघ-संस्थाओं द्वारा संयुक्त रुप से एक नई कमेटी का गठन किया गया है। जिसका नाम संयुक्त गोरखा जातीय मंच (यूनाइटेड गोरखा कम्युनिटी फोरम) रखा गया है। गोरखा प्रमाण पत्र को महकमे अधिकारी के समक्ष सही ढंग से रख कर अपने समुदाय के हित के लिए कार्य करने के लिए उक्त फोरम ने कार्य करने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त सभी जाति एवं गोष्टी संगठनों को साथ लेकर अल्पसंख्यक समुदाय के भी अनेक समस्याओं पर बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए इस कमेटी ने बात कही है। 

कमेटी में निर्विरोध रूप से किराती खाम्बु राई संस्थान की महासचिव बिनीता खाम्बु राई को मुख्य संयोजक बनाया गया है। इसके अतिरिक्त इस कमेटी में शामिल सदस्यों में ऑल इंडिया नेवार एसोसिएशन के अध्यक्ष बादशाह प्रधान, ऑल इंडिया तामंग घेदुंग बुद्धिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष बीएल रम्बा, मगर संघ भारत के महासचिव अनित थापा, अखिल भारतीय मुखिया संघ के अध्यक्ष दीपक मुखिया, अखिल भारतीय याक्का देवान एसोसिएशन के एसबी देवान, अखिल भारतीय खस हितकारी संघ के महासचिव आरबी राया, ऑल इंडिया याकतुंग लिम्बू ट्राईबल यूथ एसोसिएशन के महासचिव बिन्नी सुब्बा, युनाइटेड क्रिश्चियन माइनॉरिटी ऑर्गनाइजेशन के सचिव सागर रुचाल, ऑल इंडिया तमु गुरुंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुरुंग, किराती खाम्बु राई सांस्कृतिक संस्थान के अध्यक्ष तारा कुमार राई एवं महासचिव बिनीता खाम्बु राई प्रमुख रूप से शामिल रहे। 

कमेटी की संयोजक बिनीता खाम्बु राई ने जानकारी देते हुए बताया कि नवगठित कमेटी गोरखा समुदाय के अतिरिक्त अल्पसंख्यक समुदाय के भी जटिल समस्याओं पर विचार करते हुए कई मुद्दों पर एक साथ कार्य करने के लिए संकल्पित है। उन्होंने आगे कहा कि यह कमेटी पूर्ण रूप से गैर राजनीतिक संस्था है एवं इसका कार्य केवल सामाजिक कल्याण एवं उससे जुड़ी हुई समस्याओं पर ही केंद्रित रहेगी। गौरतलब है कि गोरखा प्रमाण-पत्र के लिए महकमा अधिकारी के समक्ष आवेदन फॉर्म में गोरखा समुदाय में शामिल विभिन्न जाति एवं गोष्ठी को अपने-अपने भाषा में 500 शब्दों के विवरण लिखने के आदेश जारी किये गए थे। जिसके बाद सभी गोरखा उपजातीय समितियों एवं अल्पसंख्यक समुदायों के संगठनों ने भविष्य की समस्या के समाधान हेतु इस कमेटी का गठन किया है।

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