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चाय बागान के मजदूरों की दैनिक मजदूरी निर्धारण को लेकर आगामी त्रिपक्षीय बैठक की जगह में बदलाव


सिलीगुड़ी : चाय बागान के मजदूरों की दैनिक मजदूरी निर्धारण को लेकर आगामी 22 फरवरी को दिन के ढाई बजे से राज्य सचिवालय की शाखा उत्तर कन्या (कामरांगागुड़ी) में होने वाली त्रिपक्षीय बैठक की जगह किन्हीं कारणों से अब बदल दी गई है। श्रम विभाग की ओर से जारी नए निर्देशों के तहत अब यह बैठक मैनाक टूरिस्ट लॉज (हिलकार्ट रोड) में होगी। बैठक की तिथि व समय में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि यह तीसरी बार यह त्रिपक्षीय बैठक आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक, पर्यटन मंत्री गौतम देव, लोक निर्माण मंत्री अरुप विश्वास, श्रम विभाग के वरीय अधिकारी, चाय बागानों के मालिकान व प्रबंधन और चाय बागान मजदूरों की यूनियनों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।

श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में समीक्षा भी की जाएगी कि दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र के चाय बागानों के मजदूरों के 2016-17 के बकाया बोनस की अदायगी हुई या नहीं और हुई तो कितनी हुई। इसके साथ ही राशन आदि मुद्दों की समीक्षा भी की जाएगी।

याद रहे कि इससे पूर्व गत वर्ष 14 अक्टूबर व उससे पूर्व 22 सितंबर को भी त्रिपक्षीय बैठक हो चुकी है। पहली बैठक में निर्णय लिया गया था कि डुवार्स की ही भांति पहाड़ के चाय बागान श्रमिकों को भी 19.75 प्रतिशत दर से बोनस दिया जाए और बोनस का आधा हिस्सा दुर्गा पूजा से पहले अदा कर दिया जाए। दूसरी बैठक में इसकी समीक्षा की गई। तब पाया गया कि पहाड़ के केवल आधे बागानों में ही मजदूरों को बोनस का पहला आधा हिस्सा अदा किया गया। आधे बागानों में एक रुपया भी नहीं दिया गया। फिर निर्णय लिया गया कि पहले का आधा व बाकी का आधा, यानी कुल बोनस दीपावली से पहले अदा कर दिया जाए। अब होने जा रही तीसरी बैठक में इसकी वस्तुस्थिति की समीक्षा की जाएगी। उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र में 85 चाय बागान हैं, जहां काम करने वाले श्रमिकों की संख्या लगभग एक लाख है।

गौरतलब है कि पहाड़ पर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के विद्रोह के मद्देनजर जून से सितंबर 2017 तक 110 दिनों तक चले बेमियादी बंद के दौरान चाय बागान भी बंद रहे। उस दौरान कामकाज व आय के सिलसिले में बहुत से श्रमिक बाहर चले गए। चाय बागान मालिकों को भी नुकसान झेलना पड़ा। उसी के मद्देनजर पहाड़ के चाय बागान मालिकान अभी भी स्थिति को आर्थिक संकट में ही बता रहे हैं। अब मजदूरों की आस तीसरी त्रिपक्षीय बैठक पर लगी हुई है।

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